ब्रिटेन के बजाय अमेरिका को वरीयता दे रहे भारतीय छात्र
भारतीय छात्रों के लिए ब्रिटेन अब आकर्षक देश नहीं रहा। ज्यादा फीस और छात्रवृत्ति हासिल करने में आने वाली दिक्कतों के चलते भारतीय छात्र अमेरिका को तरजीह देने लगे हैं।
लंदन। भारतीय छात्रों के लिए ब्रिटेन अब आकर्षक देश नहीं रहा। ज्यादा फीस और छात्रवृत्ति हासिल करने में आने वाली दिक्कतों के चलते भारतीय छात्र अमेरिका को तरजीह देने लगे हैं। यह कहना है भारत की वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण का। उन्होंने यहां तक कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनकी पढ़ाई के लिए ब्रिटेन आए।
भारतीय उच्चायोग और यूनाइटेड किंगडम-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूकेआइबीसी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में सवालों के जवाब में सीतारमण ने कहा, ''मैंने और मेरे पति ने ब्रिटेन में ही उच्च शिक्षा हासिल की। लेकिन अब मैं नहीं चाहती कि अध्ययन के लिए मेरी बेटी ब्रिटेन आए।'' इसके पीछे उन्होंने स्थानीय के मुकाबले भारतीय छात्रों से ज्यादा फीस लेने और छात्रवृत्ति मिलने में आने वाली दिक्कतों का हवाला दिया।
सीतारमण ने कहा कि छात्रों के अलावा भारतीय पेशेवरों को भी यहां कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि ब्रिटिश काउंसिल द्वारा हाल में किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कड़े वीजा नियमों के कारण भारतीय छात्र अब अमेरिका को तरजीह देने लगे हैं। वहीं, ब्रिटिश मंत्री निक बोल्स ने वीजा नियमों का बचाव करते हुए कहा कि भारतीय छात्रों के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
ब्रिटिश सरकार ने पिछले महीने छात्र वीजा वाले विदेशी छात्रों को वापस भेजने के लिए नई नीति लाने के संकेत दिए थे। ब्रिटेन में अध्ययन की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्र इससे प्रभावित हो सकते हैं।