भारतीय मूल का अमेरिकी किशोर बना भूखों का सहारा
वाशिंगटन। भारतीय अमेरिकी किशोर ने वो कारनामा कर दिखाया है जिसके बारे में बड़े-बड़े नहीं सोच सकते। किशोर के इस कदम को सराहते हुए उसे इस साल के ग्लोरिया बैरन प्राइज फॉर यंग हीरोज अवार्ड के लिए भी चुन लिया गया है। किशोर का नाम किरन है। वह कैलिफोर्निया में रहता है। उसे यह सम्मान जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाने की दिशा
वाशिंगटन। भारतीय अमेरिकी किशोर ने वो कारनामा कर दिखाया है जिसके बारे में बड़े-बड़े नहीं सोच सकते। किशोर के इस कदम को सराहते हुए उसे इस साल के ग्लोरिया बैरन प्राइज फॉर यंग हीरोज अवार्ड के लिए भी चुन लिया गया है।
किशोर का नाम किरन है। वह कैलिफोर्निया में रहता है। उसे यह सम्मान जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाने की दिशा में वेब आधारित उनकी विशेष पहल के लिए दिया गया है।
किरन ने खाने की बर्बादी को रोकते हुए भूखे लोगों के भोजन मुहैया कराने का सराहनीय काम किया है। किरन की इस मुहिम से जुड़े भोजन दान करने वालों को वेब आधारित निशुल्क सेवा 'वेस्ट नो फूड' को आधार प्रदान किया गया।
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि इतनी कम उम्र में किरन ने इस सेवा के जरिए एक लाख से ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने का काम कर चुका है। बता दें कि सालाना यह पुरस्कार 8 से 18 साल के 25 ऐसे बच्चों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया हो। पहले 15 विजेताओं में से प्रत्येक को उनकी मुहिम में सहायता या उच्च शिक्षा के लिए 5,000 डॉलर की सहायता प्रदान की जाती है। किरन का बनाया प्लेटफॉर्म 'वेस्ट नो फूड' कई गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हुआ है। अपने इस सराहनीय कदम से किरन ने छोटी से उम्र में भारी लोकप्रियता कमा ली है।