40 करोड़ भारतीयों ने खुले में शौच से की तौबा
भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या में करीब 40 करोड़ की कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में खुले में शौच करने की दर में 1990 से अब तक 31 फीसद की कमी आई है। पर ग्रामीण क्षेत्र और गरीबों के
संयुक्त राष्ट्र। भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या में करीब 40 करोड़ की कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में खुले में शौच करने की दर में 1990 से अब तक 31 फीसद की कमी आई है। पर ग्रामीण क्षेत्र और गरीबों के बीच इस प्रवृत्ति में बहुत कम बदलाव आया है। दूसरी ओर, 1990 के 71 फीसद के मुकाबले शहरी और ग्रामीण इलाकों में 94 फीसद लोगों तक पेयजल पहुंचाने में भी कामयाबी मिली है। हालांकि पूरी दुनिया की एक तिहाई आबादी अब भी साफ-सफाई से दूर है।
स्वच्छता और पेयजल पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार धरती पर रहने वाले 2.4 अरब लोग या प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति की अभी भी स्वच्छता संबंधी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है। इनमें से 94 करोड़ 60 लाख लोग ऐसे हैं जो खुले में शौच करते हैं।
दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार भारत उन 16 देशों में शामिल है जिन्होंने खुले में शौच करने की दर में कम से कम 25 फीसद तक की कमी है। भारत के मामले में यह कमी 31 फीसद है। इस प्रगति को 'मध्यम श्रेणी' का करार दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खुले में शौच करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। लेकिन, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान ने 1990 से इस दिशा में 30 फीसद से अधिक की प्रगति की है। अकेले भारत में खुले में शौच करने वालों की संख्या में 39 करोड़ साठ लाख की कमी आई है।