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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने 'आधी आबादी' से किया गया अपना वादा किया पूरा

दुनिया में 38 ऐसे देश हैं जहां संसदीय सदनों में महिलाओं की संख्या 10 फीसदी से भी कम है। वर्तमान में रवांडा में सबसे ज्यादा महिला सांसद हैं जिसके बाद बोलिविया का स्थान आता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 09:29 AM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 09:29 AM (IST)
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने 'आधी आबादी' से किया गया अपना वादा किया पूरा
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने 'आधी आबादी' से किया गया अपना वादा किया पूरा

पेरिस, पीटीआइ। अपने वादे के अनुसार फ्रांस के सबसे युवा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने नए कैबिनेट में आधे पदों पर महिलाओं को जगही दी है। मैक्रों के इस नए कैबिनेट को महिला-संतुलित कैबिनेट कहा जा रहा है जिसमें 22 में से 11 पदों पर महिलाएं हैं। हालांकि पांच प्रमुख पदों में से केवल एक ही महिला को सौंपा गया। सिल्वी गोलार्ड को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली तो ओलिंपिक चैंपियन लॉरा फ्लेसेल को खेल मंत्री बनाया गया है। ब्रूनो ले मेयर को आर्थिक मामलों का मंत्री, जेरार्ड कोलोम्ब को गृह मंत्री और फ्रांस्वा बायरू को न्याय मंत्री बनाया गया है।

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राजनीति का अलग-अलग धाराओं से इन हस्तियों को एकसाथ लाने के मैक्रों के फैसले ने फ्रांस के दक्षिणपंथियों को हैरत में डाल दिया है। ब्रूनो ले मेयर मध्यम रू़ि़ढवादी विचारधारा से हैं, तो कोलोम्ब ल्योन के सोशलिस्ट मेयर हैं और फ्रांस्वा बायरू मध्यमार्गी हैं। इससे पहले, लगभग 170 निर्वाचित नेताओं ने मैक्रों के समर्थन में एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जबकि कई नेताओं ने उनकी आलोचना की थी।

टैक्स रिकॉर्ड का पता लगाने की वजह से हुई देरी फ्रांस के नए राष्ट्रपति को उम्मीद है कि अगले महीने होने वाले संसदीय चुनाव में उनकी टीम बेहतर प्रदर्शन करेगी और दोबारा राष्ट्रपति बनने की उनकी संभावनाएं मजबूत होंगी। कैबिनेट के सदस्यों के टैक्स रिकॉर्ड का पता लगाने और उनके राजनितिक हितों के टकराव की संभावना के बारे में पता करने में वक्त लगने के कारण कैबिनेट के नामों की घोषषणा करने में देर हुई थी। लैंगिक समानता वाले सरकार में रवांडा आगे मैक्रों के पूर्ववर्ती फ्रांस्वा ओलां की 34 मंत्रियों व जूनियर मंत्रियों की कैबिनेट में आधे पद महिलाओं को ही दिए गए थे।

गौरतलब है कि दुनिया में 38 ऐसे देश हैं जहां संसदीय सदनों में महिलाओं की संख्या 10 फीसदी से भी कम है। वर्तमान में रवांडा में सबसे ज्यादा महिला सांसद हैं जिसके बाद बोलिविया का स्थान आता है। भारतीय संसद की बात की जाए तो दोनों सदनों के 787 सदस्यों में से केवल 91 ही महिलाएं हैं।

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