एक नाकाम प्रधानमंत्री ने बचाया यूनाइटेड किंगडम
यूनाइटेड किंगडम को एक रखने में ब्रिटेन के असफल प्रधानमंत्रियों में शुमार स्कॉटिश मूल गॉर्डन ब्राउन (63) हीरो बन कर उभरे हैं। स्कॉटलैंड की आजादी के लिए हुए जनमत संग्रह में जिस तरह से उन्होंने एकता के लिए चलाए गए अभियान बेटर टुगेदर को सफलता तक पहुंचाया, उसने उन्हें एक बार फिर ब्रिटिश जनता के दिलों में बिठा दिया।
लंदन। यूनाइटेड किंगडम को एक रखने में ब्रिटेन के असफल प्रधानमंत्रियों में शुमार स्कॉटिश मूल गॉर्डन ब्राउन (63) हीरो बन कर उभरे हैं। स्कॉटलैंड की आजादी के लिए हुए जनमत संग्रह में जिस तरह से उन्होंने एकता के लिए चलाए गए अभियान बेटर टुगेदर को सफलता तक पहुंचाया, उसने उन्हें एक बार फिर ब्रिटिश जनता के दिलों में बिठा दिया।
लेबर पार्टी ने ब्राउन के नेतृत्व में 2010 का चुनाव लड़ा और उसे करारी हार मिली। इसके बाद उन्हें देश के सबसे खराब प्रधानमंत्रियों में गिना जाने लगा और पार्टी में भी उनका कद कमजोर हो गया। मगर जनमत संग्रह में एकता की जीत के बाद लोग उनके गुणगान कर रहे हैं। जनमत संग्रह से पूर्व कराए गए सर्वे में आजादी समर्थकों की तादाद में उछाल से ब्रिटेन के राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मच गई थी। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने भी सीधे दखल से इन्कार कर सरकार को परेशानी में डाल दिया। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का नेतृत्व तलवार की धार पर आ गया। ऐसे में मोर्चा संभाला ब्राउन ने। वे आखिरी दिन तक स्कॉटलैंड में जमे रहे और यूनाइटेड किंगडम की नैया पार लगा ले गए।
इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी में राजनीति की लेक्चरर विक्टोरिया हनीमेन ने बताया कि आजादी के खिलाफ एक दिन पहले दिए गए उनके भाषण ने लोगों को मन बदलने पर मजबूर कर दिया। ब्राउन ने दिल और अधिकार से बोला, जो स्कॉटिश जनता को अपना सा लगा। हनीमेन ने कहा कि कैमरन, लेबर पार्टी के नेता एड मिलिबैंड और लिबरल डेमोक्रेट प्रमुख निक क्लेग भी यह नहीं कर सकते थे, जो ब्राउन ने कर दिखाया। इसलिए वह स्कॉटलैंड के फर्स्ट मिनिस्टर एलेक्स सेलमंड पर भारी पड़ गए। सेलमंड ने एक दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
अब वादे निभाए ब्रिटेन
स्कॉटलैंड को अलग होने से बचाने के बाद गॉर्डन ब्राउन ने ब्रिटिश नेताओं से अपील की है कि वे स्कॉटिश जनता से किए गए वादे जल्द से जल्द पूरे करें। फीफे में समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने शनिवार को कहा, 'अब दुनिया की निगाहें हम पर हैं। ब्रिटिश नेताओं को स्कॉटलैंड को ज्यादा ताकत देने के वादे को निभाना होगा। मैं आपसे वादा करता हूं कि इन्हें पूरा किया जाएगा।'
नतीजों के बाद ¨हसक झड़पें
स्कॉटलैंड में जनमत संग्रह के नतीजों के बाद आजादी समर्थकों और ब्रिटेन समर्थकों के बीच ¨हसक झड़पें हो रही हैं। नतीजों के बाद दो सालों से आजाद स्कॉटलैंड का अभियान चला रहे लोगों में मायूसी पसर गई। सबसे बड़े शहर ग्लासगो में ब्रिटिश नेशनल प्राइड के नाम पर एकत्र हुई भीड़ के बीच देखते ही देखते ¨हसक झड़प होने लगी।
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