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रूसी बमों से मर रहे हैं सीरियाई नागरिक, फ्रांस और अमेरिका ने जताई आपत्ति

सीरिया में नागरिकों की मौतों को लेकर रूस पर दबाव बढ़ रहा है. फ्रांस और अमरीका ने उसे ज़्यादा सावधानी बरतने को कहा है। फ्रांसीसी प्रधानमंत्री मेनुएल वाल्स और अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने कहा है कि रूसी हवाई हमलों में नागरिक मारे जा रहे हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 15 Feb 2016 01:14 AM (IST)Updated: Mon, 15 Feb 2016 06:06 AM (IST)
रूसी बमों से मर रहे हैं सीरियाई नागरिक, फ्रांस और अमेरिका ने जताई आपत्ति

वाशिंगटन। सीरिया में नागरिकों की मौतों को लेकर रूस पर दबाव बढ़ रहा है. फ्रांस और अमरीका ने उसे ज़्यादा सावधानी बरतने को कहा है। फ्रांसीसी प्रधानमंत्री मेनुएल वाल्स और अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने कहा है कि रूसी हवाई हमलों में नागरिक मारे जा रहे हैं।

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रूसी प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि नागरिकों पर बम बरसाने का कोई सुबूत नहीं है। फिर भी हर कोई हमें ही कोस रहा है।पर्यवेक्षकों के एक समूह ने कहा है कि रूसी हवाई हमलों में कम से कम 1015 नागरिक मारे गए हैं। ब्रिटेन में मौजूद सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि पिछले महीने मारे गए लोगों में एक चौथाई की उम्र 18 से कम थी।


सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का सहयोगी रूस लगातार नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने से इनकार करता रहा है। सीरिया की कहना है कि आतंकियों को निशाना बना रहा है। वाल्स के मुताबिक़ उनकी सरकार रूस और उसके हितों का सम्मान करती है। लेकिन शांति के लिए रास्ता खोजने और बातचीत के लिए पहले नागरिकों पर रूसी बम गिरने बंद होने चाहिए।

कैरी ने एक बार फिर रूस पर आरोप लगाया कि वो सीरिया में ‘डंब बम’ इस्तेमाल कर रहा है जो सीधे निशाने पर हमला नहीं करते. पिछले हफ़्ते उन्होंने कहा था कि रूसी हमलों में बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे मारे गए। मेदवेदेव ने कहा कि रूस सीरिया में कोई गुप्त लक्ष्य हासिल करने की कोशिश नहीं कर रहा. उनके मुताबिक़ वो अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रहे हैं।
ये बयान म्यूनिख में कुछ दिन पहले महाशक्तियों के बीच सीरिया को लेकर हुए समझौते के बाद एक सुरक्षा सम्मेलन में सामने आए।

इस समझौते में तय पाया गया था कि ये देश सीरिया में एक हफ़्ते में संघर्ष विराम के लिए काम करेंगे और मानवीय मदद पहुँचाई जाएगी।


इस योजना के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा ख़राब हालात वाले इलाक़ों में सबसे पहले मानवीय मदद पहुँचाई जाएगी. और इस बीच सीरिया में दोनों तरफ़ से संघर्ष विराम की कोशिशें होंगी और सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के समर्थन वाले राजनीतिक संक्रमण की कोशिश की जाएगी.

हालांकि यह समझौता जिहादी संगठनों जैसे इस्लामिक स्टेट और अल नुसरा फ्रंट के लिए लागू नहीं होगा।इस समझौते के बाद सीरिया के विद्रोही संगठनों ने बीबीसी को बताया था कि वो उन्हें रूसी बमबारी के बंद होने का यक़ीन नहीं है इसलिए वो संघर्ष जारी रखेंगे।

इन संगठनों ने इस पर भी ज़ोर दिया था कि राष्ट्रपति असद को सत्ता से हटाया जाना चाहिए. शुक्रवार को राष्ट्रपति ने कहा था कि वो विद्रोहियों के हाथों से पूरा देश लेकर रहेंगे। रूस के समर्थन में चल रहे हवाई हमलों के सहयोग से सीरिया की सरकारी फ़ौजों ने एलेप्पो शहर के उत्तरी इलाक़े में विद्रोहियों को लगभग घेर रखा है.

गौरतलब है कि सीरिया में पिछले पांच साल से चल रहे संघर्ष में अब तक क़रीब ढाई लोग मारे गए हैं। और क़रीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं।


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