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उ. कोरिया की तरह पाक को घोषित किया जाए 'दुष्ट राष्ट्र'

पाकिस्तान को अमेरिकी करदाताओं के पैसे से परमाणु कार्यक्रम को अंजाम तक पहुंचाने का मौका दिया गया।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 06:11 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 06:11 PM (IST)
उ. कोरिया की तरह पाक को घोषित किया जाए 'दुष्ट राष्ट्र'

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका में पाकिस्तान के दोहरे रवैये के खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान को आतंकवादियों का गढ़ घोषित करने के बाद अब उसे उत्तर कोरिया की तर्ज पर दुष्ट राष्ट्र घोषित करने की मांग उठने लगी है। दक्षिण डकोटा के पूर्व सांसद लैरी प्रेस्लर ने इस्लामाबाद पर आतंक से लड़ाई के नाम पर अमेरिका को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। उन्होंने भारत के साथ मिलकर सुपर एलायंस बनाने की वकालत की है।

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अमेरिका ने कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान को आतंकियों के लिए पनाहगाह देशों की सूची में डाला है। प्रेस्लर की किताब (नेवर्स इन आ‌र्म्स : एन अमेरिकन सिनेटर्स क्वेस्ट फॉर डिसअर्मामेंट इन ए न्यूक्लियर सबकांटिनेंट) 21 जुलाई को बाजार में आई है। प्रेस्लर रिपब्लिकन पार्टी के लिए 1979 से 1997 तक लगातार सांसद निर्वाचित होते रहे हैं।

उन्होंने लिखा, 'आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान के रवैये में बदलाव न होने पर उसे आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए। इस पर वर्ष 1992 में तत्कालीन बुश सीनियर की सरकार ने गंभीरता से विचार भी किया था। चीन और अमेरिका जैसे देशों द्वारा लगातार दी जा रही विदेशी मदद के कारण पाकिस्तान नाकाम देशों की श्रेणी में शामिल होने से बचा हुआ है।' प्रेस्लर शस्त्र नियंत्रण पर सीनेट की उपसमिति के अध्यक्ष भी रह चुके थे। उन्हीं के प्रयासों के चलते चर्चित प्रेस्लर संशोधन वर्ष 1990 में अमल में आया था।

अपनी किताब में उन्होंने संशोधन के अमल में होने के दौरान की घटनाओं का भी जिक्र किया है। प्रेस्लर ने लिखा, 'अफगानिस्तान से आतंकवाद को खत्म करने का भय दिखाकर पाकिस्तानी नेताओं ने अमेरिका को ब्लैकमेल किया था। हालांकि, हमें इस बात की पूरी जानकारी थी कि इस्लामाबाद आतंकियों का आश्रय स्थल बना हुआ है और वहां के शीर्ष नेतृत्व में भी आतंकियों की पैठ है। पाकिस्तान को अमेरिकी करदाताओं के पैसे से परमाणु कार्यक्रम को अंजाम तक पहुंचाने का मौका दिया गया। लेकिन, अब पाकिस्तान को आतंकियों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराने में अमेरिकी करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों दी जाए? अमेरिका अब खुद को ब्लैकमेल क्यों होने दे?'

भारत के साथ बने सुपर एलायंस

प्रिस्लर ने भारत के साथ सुपर एलायंस (उत्कृष्ट गठजोड़) बनाने की भी वकालत की है। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को सैन्य सहयोग से आगे बढ़ाने की सलाह दी है। प्रिस्लर ने लिखा, 'भारत और अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप में लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां लोकतंत्र दुर्लभ है। दोनों देश चीन के आक्रामक रवैये से चिंतित होकर संयुक्त रूप से मजबूत नौसैन्य गठजोड़ बनाने के लिए समर्पित हैं। लेकिन, अमेरिका और भारत का संबंध सैन्य गठजोड़ से कहीं ज्यादा हो सकता है।'

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