कृत्रिम कोख से बचाए जा सकेंगे समयपूर्व जन्म लेने वाले शिशु
ऑस्ट्रेलिया और जापान के वैज्ञानिकों के एक दल ने ऐसी कृत्रिम कोख विकसित की है जिससे 22-23 हफ्ते में ही जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए प्रभावी उपचार और विकास हो सके।
मेलबर्न, प्रेट्र : ऑस्ट्रेलिया और जापान के वैज्ञानिकों के एक दल ने कृत्रिम कोख विकसित की है। इसका भेड़ के बच्चे पर सफलतापूर्वक उपयोग किया जा चुका है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि इसके विकास से समय से काफी पहले जन्म लेने वाले मानव शिशुओं की जिंदगी बचाने में मदद मिल सकती है। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी और जापान के तोहोकू यूनिवर्सिटी अस्पताल के शोधकर्ताओं के मुताबिक इस कृत्रिम कोख की मदद से समय से काफी पहले (22 से 23 सप्ताह) पैदा होने वाले शिशुओं के लिए प्रभावी उपचार रणनीति विकसित की जा सकती है।
मेमने पर हुआ सफल प्रयोग
इस शोध के दौरान एक्स-विवो यूट्रिन एन्वायर्नमेंट (ईवीई) थेरेपी के उपयोग से समयपूर्व पैदा हुए मेमने को एक हफ्ते तक स्वस्थ, संक्रमण रहित माहौल और उल्लेखनीय वृद्धि के साथ सफलतापूर्वक रखने में कामयाबी मिली। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर मैट केम्प ने कहा कि ईवीई थेरेपी के विकास से समयपूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं को बचाया जा सकता है। ऐसे शिशुओं के लिए इस तरह की उपचार रणनीति तैयार करना चुनौती भरा काम है।
समयपूर्व जन्म से पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव
गर्भ में रहने की अवधि के दौरान शिशु के फेफड़े संरचनात्मक और कार्यक्षमता के लिहाज से विकास की प्रक्रिया में होते हैं। इसके विकास से वे आसानी से सांस लेते हैं। लेकिन समयपूर्व पैदा होने वाले बच्चों में फेफड़ों के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इस तकनीक के विकास से उम्मीद है कि इस समस्या का निदान भू्रण स्तर पर ही किया जा सकता है। केम्प ने बताया कि उनकी कृत्रिम कोख आवश्यक हाईटेक एमनियोटिक फ्लूड के साथ एक कृत्रिम गर्भनाल से लैस है।