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'ग्रेट वाल' की सुरक्षा के लिए चीन लगाएगा 300 कैमरे

दुनिया के सात अजूबों में शामिल ग्रेट वाल की सुरक्षा के लिए चीन 300 कैमरे लगाएगा। इन कैमरों से दीवार पर नाम और संदेश लिखने वाले पर्यटकों पर सख्ती की जाएगी। नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई भी होगी।

By Test1 Test1Edited By: Published: Sun, 20 Aug 2017 03:05 PM (IST)Updated: Sun, 20 Aug 2017 05:16 PM (IST)
'ग्रेट वाल' की सुरक्षा के लिए चीन लगाएगा 300 कैमरे
'ग्रेट वाल' की सुरक्षा के लिए चीन लगाएगा 300 कैमरे

बीजिंग: दुनिया के सात अजूबों में शामिल अपनी ऐतिहासिक दीवार (ग्रेट वाल) के नजदीक चीन उच्च क्षमता वाले तीन सौ कैमरे लगाएगा। इन कैमरों से दीवार को नुकसान पहुंचाने वाली हरकतों को देखा जाएगा और दोषियों को दंडित किया जाएगा। चीनी प्रशासन ने यह कदम पर्यटकों द्वारा दीवार पर अपना नाम लिखने, उस पर नारे लिखने और संदेश लिखने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उठाया है। ज्यादातर मामलों में यह सब दीवार को खुरचकर लिखा जाता है। यह जानकारी चीन के सरकारी रेडियो इंटरनेशनल ने दी है।

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बढ़ाई जाएगी सुरक्षाकर्मियों की गश्त

रेडियो के अनुसार महान दीवार की सुरक्षा के लिए दीवार के इर्द-गिर्द सुरक्षाकर्मियों की गश्त को बढ़ाया जाएगा, जो दीवार को नुकसान पहुंचाने वाली हरकतों को देखकर तत्काल संबंधित व्यक्ति को रोकेंगे। इससे पहले दीवार को नुकसान न पहुंचाने की अपील चीनी, अंग्रेजी और कोरियाई भाषा में लिखकर की जा चुकी है। लेकिन उसका खास असर नहीं हुआ। 'ग्रेट वाल' को देखने के लिए अक्टूबर 2016 में आए एनबीए प्लेयर बॉबी ब्राउन ने जब अपना नाम और नंबर खुरचकर लिखा तो चीन के लोग प्रतिक्रिया में भड़क उठे थे।

नुकसान पहुंचाया तो कार्रवाई तय

पुरातत्व विशेषज्ञ डोंग याओहुई के अनुसार दीवार पर बहुत से निशान 30-40 साल पहले डाले गए हैं। उस समय लोग इससे होने वाले नुकसान के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं थे। उन्हें रोकने के उपाय भी ज्यादा नहीं किये गए थे। अब कैमरा लगाकर दीवार को नुकसान पहुंचाने के कृत्य को तारीख और समय के अनुसार देखा जाएगा और कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन के अनुसार जिसे भी यह हरकत करते हुए पकड़ा जाएगा उसके पुरातत्व महत्व की इमारतों में जाने पर रोक लगाई जाएगी और अर्थदंड लगाया जाएगा।

चीन की पहचान है ग्रेट वाल

ग्रेट वाल चीन की पहचान के साथ जुड़ी हुई है। सुरक्षा के लिए चीन में कई दीवारें मिंग वंश के शासनकाल में ईसा पूर्व 1368 से 1644 वर्ष के बीच बनाई गई थीं। इनमें से अभी भी 8,800 किलोमीटर लंबाई की दीवार बची हुई है जिन्हें देखने लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

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