दक्षिण चीन सागर में पानी के भीतर प्लेटफार्म बनाएगा चीन
चाइनिज एकेडमी ऑफ साइंस (सीएएस) के वांग पिनसिआन ने कहा, 'दीर्घ अवधि के प्रेक्षण प्लेटफार्म के निर्माण कार्य में संघाई के टोंगजी यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ अकॉस्टिक्स की मदद ली जाएगी।
बीजिंग, प्रेट्र। दक्षिण चीन सागर में पानी के भीतर अपना पहला प्लेटफार्म बनाएगा। इस क्षेत्र में चीन का दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों के साथ विवाद है। चीन के निर्मित होने वाले प्लेटफार्म का लक्ष्य पानी के भीतर की वास्तविक स्थिति का पता लगाना है।
चाइनिज एकेडमी ऑफ साइंस (सीएएस) के वांग पिनसिआन ने कहा, 'दीर्घ अवधि के प्रेक्षण प्लेटफार्म के निर्माण कार्य में संघाई के टोंगजी यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ अकॉस्टिक्स की मदद ली जाएगी। यह प्लेटफार्म दक्षिण चीन और पूर्वी चीन सागर में फैला होगा।' इस प्रेक्षण नेटवर्क तैयार होने से चीन के अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा में सक्रिय रूप से उतरने का पता चलेगा।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रेक्षण प्लेटफार्म समुद्र के भीतर भौतिक, रासायनिक और भूगर्भ की जांच करेगा। अन्य काम में भी इसका इस्तेमाल होगा।
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दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों ही क्षेत्रों में विवाद चल रहा है। चीन पूरे समुद्र पर दावा करता है। दुनिया की एक तिहाई आवाजाही इसी क्षेत्र से होती है। इसके साथ इस सागर में तेल और गैस का प्रचुर भंडार है। इस सागर पर फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया के अलावा ब्रुनेई और ताइवान भी दावा करता है। पूर्वी चीन सागर में द्वीप पर जापान का कब्जा है। इस कब्जे को लेकर चीन और जापान के बीच विवाद है।
वन चाइना नीति के बदले ट्रंप को कुछ मिला है - व्हाइट हाउस
वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 'वन चाइना' नीति पर सहमति जताने के बदले में बीजिंग से कुछ मिला है। चुनाव में विजयी होने के बाद ट्रंप ने ताइवान संबंधी 'वन चाइना' नीति पर सवाल उठाया था। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीआन स्पिसर ने कहा कि राष्ट्रपति हमेशा कुछ न कुछ हासिल करते हैं। संवाददाताओं ने 'वन चाइना' नीति को लेकर ट्रंप के रुख में हुए बदलाव पर सवाल उठाया था।