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रिश्वत लेने-देने वालों की पहचान हो उजागर : स्वराज पॉल

लंदन। मशहूर प्रवासी भारतीय उद्योगपति लार्ड स्वराज पाल भी भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में भ्रष्टाचार को तब तक समाप्त नहीं किया जा सकता जब तक रिश्वत देने और लेने वालों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। लार्ड पॉल ने कहा, 'मैंने देखा है कि क

By Edited By: Published: Thu, 03 Oct 2013 05:24 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2013 07:24 PM (IST)

लंदन। मशहूर प्रवासी भारतीय उद्योगपति लार्ड स्वराज पाल भी भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में भ्रष्टाचार को तब तक समाप्त नहीं किया जा सकता जब तक रिश्वत देने और लेने वालों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होगी।

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पढ़ें: पारदर्शी और आसान हों विदेशी निवेश के नियम

लार्ड पॉल ने कहा, 'मैंने देखा है कि कई देशों में भ्रष्टाचार ने आम लोगों के लिए सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन देशों की साख भी गिरी। भारत में मैं 1982 से भ्रष्टाचार से जूझ रहा हूं।' उन्होंने यह बात बुधवार को टावर होटल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स ग्लोबल कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि हम सभी ने पढ़ा कि हाल में भारत का आर्थिक विकास निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में तेजी से बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वैसे भ्रष्टाचार के लिए सभी पार्टियां जिम्मेदार हैं, लेकिन इस पर ज्यादा चर्चा नहीं होती। उन्होंने कहा, ऐसा समाज जहां भ्रष्टाचार व्याप्त हो और आप कोई काम कराना चाहते हो तो घूस की पेशकश सभी को आकर्षित करती है। मगर भ्रष्टाचार को तब तक समाप्त नहीं किया जा सकता जब तक रिश्वत देने-लेने वालों को समान रूप से जिम्मेदार नहीं माना जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दो ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज वोल्वरहैंपटन और वेस्टमिंस्टर के चांसलर लार्ड पॉल ने कहा कि हाल में लोकसभा में भारतीय कंपनी कानून में 1950 के बाद कंपनी विधेयक 2012 में किए गए बदलाव से पारदर्शिता बढ़ेगी और यह भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करेगा। नए कानून में कर्मचारियों और निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के प्रावधान हैं। कॉरपोरेट गवर्नेस से जुड़े मामलों में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए इसमें ठोस उपाय किए गए हैं। साथ ही कंपनियों से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान भी किया गया है। लॉर्ड पाल ने पिछले कुछ वर्षो के दौरान सत्यम, भारतीय दूरसंचार क्षेत्र और 2जी लाइसेंस समेत कई कारपोरेट स्कैंडल पर निराशा व्यक्त की।

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