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हजारों करोड़ रुपये का राफेल सौदा अधर में

हजारों करोड़ का राफेल लड़ाकू विमान खरीद करार उलझता ही जा रहा है। गारंटी प्रावधान और कीमतों में भारी इजाफा के कारण भारत विकल्प के तौर पर रूस से और सुखोई-30 एमकेआइ विमान खरीदने पर भी विचार करने लगा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 04 Jan 2015 08:52 PM (IST)Updated: Sun, 04 Jan 2015 11:39 PM (IST)
हजारों करोड़ रुपये का राफेल सौदा अधर में

नई दिल्ली। हजारों करोड़ का राफेल लड़ाकू विमान खरीद करार उलझता ही जा रहा है। गारंटी प्रावधान और कीमतों में भारी इजाफा के कारण भारत विकल्प के तौर पर रूस से और सुखोई-30 एमकेआइ विमान खरीदने पर भी विचार करने लगा है।

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भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि राफेल की निर्माता कंपनी दासो एविएशन पूर्व में सहमत रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) से इंकार नहीं कर सकती। नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है कि गेंद अब फ्रांस के पाले में है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तकरीबन 42 हजार करोड़ रुपये के इस समझौते में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए फ्रांस ने जनवरी के अंत तक एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को भारत भेजने का फैसला किया है।

रद्द हो सकता है सबसे बड़ा रक्षा सौदा!

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि करार को पूरा करने में कुछ समस्याएं हैं। राफेल सौदा खत्म होने की स्थिति में भारत रूस से और सुखोई-30 विमान खरीदने पर विचार कर सकता है। पिछले वर्ष दिसंबर में रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने फ्रांसीसी समकक्ष को आरएफपी से बंधे रहने के बारे में स्पष्ट तौर पर बता दिया था।

राफेल विमानों की खरीद वायुसेना की प्राथमिकता में

समझौते के तहत फ्रांसीसी कंपनी दासो को 126 लड़ाकू विमान मुहैया कराने हैं। इनमें 18 का आयात किया जाएगा, जबकि बाकी के 108 विमानों का निर्माण दासो के लाइसेंस पर ¨हदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा देश में ही किया जाएगा। राफेल का चयन वर्ष 2012 में किया गया था।


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