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भारत में स्थानीय नेतृत्व तैयार कर पांव पसारेगा अल-कायदा

भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा का गठन उसके नेतृत्व के लंबे समय की योजना का नतीजा है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 08:41 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 09:23 PM (IST)
भारत में स्थानीय नेतृत्व तैयार कर पांव पसारेगा अल-कायदा
भारत में स्थानीय नेतृत्व तैयार कर पांव पसारेगा अल-कायदा

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत सहित समूचे दक्षिण एशिया में पैर पसारने के लिए अल-कायदा स्थानीय नेतृत्व तैयार करने में जुटा है। संगठन को स्थानीय चेहरा देने के मकसद से अल-कायदा के शीर्ष नेतृत्व ने यह योजना बनाई है। अमेरिका के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने आतंकी संगठन के इस मंसूबे को उजागर किया है।

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अधिकारी ने बताया, अल-कायदा के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का अहसास हो चुका है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में उनकी मौजूदगी कुछ समय से दबाव में है। ऐसे में वह ऐसा संगठन बनाना चाहते हैं जिसमें स्थानीय चेहरे ज्यादा हों। भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा की गतिविधियों और उसकी अरबी शाखा के बीच संबंधों से जुड़े सवाल के जवाब में अधिकारी ने यह बात कही।

उन्होंने कहा, भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा का गठन उसके नेतृत्व के लंबे समय की योजना का नतीजा है। इसकी मदद से आतंकी संगठन इस इलाके में स्थानीय नेतृत्व विकसित करना चाहता है। हमारा मानना है कि दक्षिण एशिया में अल-कायदा की स्थायी उपस्थिति बनाए रखने के मकसद से यह कदम उठाया गया है।

अधिकारी ने बताया कि दक्षिण एशिया का मतलब केवल अफगानिस्तान नहीं है, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत पूरे क्षेत्र से है। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में छापेमारी के दौरान अमेरिकी सुरक्षा बलों को ऐसी जानकारी मिली हैं जिससे साफ पता चलता है कि सीरिया में सक्रिय अल-कायदा के आतंकियों का अफगानिस्तान और बांग्लादेश समेत दक्षिण एशिया क्षेत्र के लोगों के साथ संबंध है।

उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि अल-कायदा का शीर्ष नेतृत्व अभी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ही मौजूद है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर अफ-पाक में मौजूद अल-कायदा के नेतृत्व और सीरिया-इराक में सक्रिय इस्लामिक स्टेट (आइएस) के शीर्ष नेतृत्व के बीच भी संपर्क है।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले अल-कायदा के नेता अल-जवाहिरी ने भारत समेत दक्षिण एशिया में आतंकी संगठन के गठन की घोषणा की थी। उसने इसे म्यांमार, बांग्लादेश और भारत के असम, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में रहने वाले मुसलमानों के लिए अच्छी खबर बताया था। पिछले महीने अमेरिका के कई वरिष्ठ सांसदों ने भी चेतावनी देते हुए कहा था कि आइएस के खिलाफ अमेरिका के व्यस्त होने का अल-कायदा फायदा उठा रहा है और खुद को दक्षिण एशिया में फिर से मजबूत करने में जुटा है।

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