पठानकोट हमले के बाद कभी नहीं था पुलिस हिरासत में मसूद अजहर
पाकिस्तान ने जिस जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को हिरासत में लेने का दावा किया था, वो असल में किसी भी हिरासत में नहीं था।
नई दिल्ली। आतंकवादियों को पनाह देने के मामले में पाकिस्तान किस तरह दोहरी नीति अपनाता है इसका ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब मीडिया रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि पठानकोट हमले के बाद जिस पाकिस्तान ने जिस जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को हिरासत में लेने का दावा किया था, वो असल में किसी भी हिरासत में नहीं था और उसतक आसानी से पहुंचा जा सकता था।
पाकिस्तानी पुलिस के एक अधिकारी ने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पठानकोट हमले के बाद भी मसूद अजहर को हिरासत में नहीं लिया गया था बल्कि वो अपने घर में था और उससे मुलाकात करने वालों पर कोई रोक टोक नहीं थी। हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि पिछले दिनों इस्टर पर पार्क में बम धमाके के बाद सेना द्वारा चलाए गई आतंक निरोधी मुहीम के दौरान मसूद अजहर पर थोड़ी सख्ती जरूर बरती गई थी। इस हमले में 70 लोगों की मौत हुई थी।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा से जुड़ा एक आतंकवादी संगठन है जिसका हैडक्वाटर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर इलाके में है। ये संगठन खुद को जिहादी बताता है और भारत, अमेरिका और इजराइल को इस्लाम और उनका दुश्मन मानता है।
इसके अलावा ये संगठन बहावलपुर में कई मदरसे भी चलाता है जिसका संचालन मसूद अजहर की देखरेख में किया जाता है। बताया जाता है कि इस संगठन और मदरसों को बड़ी संख्या में चंदा भी मिलता है।
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