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खेतों के रास्ते महंगाई पर हल्ला बोल

खाद्यान्न उपलब्धता बढ़ाकर महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने आम बजट में खेती-बाड़ी को खास तरजीह दी है। छोटी होती जोत की समस्या से निपटने की कारगर पहल भी की गई है। कृषि अनुसंधान से उत्पादकता बढ़ाने और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर फसलों की नई प्रजातियों की खेती पर जोर दिया गया है।

By Edited By: Published: Fri, 01 Mar 2013 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली। खाद्यान्न उपलब्धता बढ़ाकर महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने आम बजट में खेती-बाड़ी को खास तरजीह दी है। छोटी होती जोत की समस्या से निपटने की कारगर पहल भी की गई है। कृषि अनुसंधान से उत्पादकता बढ़ाने और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर फसलों की नई प्रजातियों की खेती पर जोर दिया गया है। उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री ने हरित क्रांति वाले उत्तरी और पूर्वी राज्यों पर फिर से भरोसा जताया है। गांवों की हालत में सुधार के लिए सरकार ने ग्रामीण विकास की योजनाओं के मद में उल्लेखनीय आवंटन किया है।

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महंगाई रोकने के लिए खाद्यान्न आपूर्ति में सुधार पर जोर दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन में 22 फीसद वृद्धि की घोषणा की है। कृषि अनुसंधान को महत्व देते हुए लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। संसाधनों के अति दोहन से पहली हरित क्रांति वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फसलों की उत्पादकता ठहर गई है। इन राज्यों में फसलों की विविधता के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

दूसरी हरित क्रांति वाले पूर्वी राज्यों में फसलों की पैदावार पर वित्त मंत्री चिदंबरम ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए उसे जारी रखने के लिए 1000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इन राज्यों में धान की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। खेती में धन की कमी को पूरा करने के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य सात लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी योजनाएं बढ़े हुए बजट आवंटन के साथ पूर्ववत जारी रहेंगी। दुग्ध उत्पादकता में सुधार के बाबत आगामी वित्त वर्ष 2013-14 में राष्ट्रीय पशु मिशन शुरू करने का एलान किया गया है। इसमें दाना-चारा विकास के लिए एक उप मिशन भी शुरू किया गया है।

गांवों के विकास को चिदंबरम ने खास तरजीह देते हुए उसके बजट आवंटन में 46 फीसद की वृद्धि की घोषणा की है। ग्रामीण बेरोजगारों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने वाली मनरेगा योजना के बजट में कोई कटौती नहीं हुई है, बल्कि उसे पिछले साल के बराबर 33 हजार करोड़ रुपये पर बरकरार रखा गया है। गांवों को जोड़ने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के दूसरे चरण की भी घोषणा की गई है। पहला चरण पूरा कर लेने वाले राज्यों के लिए यह मुफीद साबित होगी। गरीबों को आशियाना देने वाली इंदिरा आवास योजना का बजट बढ़ाया गया है। पीने के पानी और स्वच्छता को अति प्राथमिकता वाला क्षेत्र मानते हुए उसके बजट में भी पर्याप्त वृद्धि की गई है।


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