शाही शादी में नगर के दो हजार लोगों ने किया भोज
होलकर परिवार में चल रही शादी में मंगलवार को नजरबाग व्यायामशाला में नगरवासियों के लिए भोज का आयोजन हुआ।
महेश्वर। होलकर परिवार में चल रही शादी में मंगलवार को नजरबाग व्यायामशाला में नगरवासियों के लिए भोज का आयोजन हुआ। करीब दो हजार लोगों के इस भोज में नगर के गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, बुनकर व आमजन शामिल हुए।
महाराजा शिवाजीराव होलकर, दूल्हा यशवंत होलकर (तृतीय) व दुल्हन नायरिका सहित शालिनी देवी होलकर बुनकरों के साथ अपनत्व के साथ मिले। होलकर परिवार के सदस्यों ने बुनकरों से उनके नाम के साथ संबोधन में आत्मीयता का माहौल घोल दिया। इन सदस्यों ने सभी लोगों को अनुनय व आग्रह से भोजन करवाया।
विवाह समारोह को लेकर नर्मदा के मध्य स्थित बाणेश्वर मंदिर में होने वाली पूजा किसी कारणवश नहीं हो सकी। यहां सुबह 6 बजे दूल्हा-दुल्हन के हाथों से पूजन होना था। नियत समय के पूर्व पंडितों ने मंदिर पहुंचकर तैयारियां भी कर ली। परंतु कुछ कारणों से वहां पूजा नहीं हो सकी। उल्लेखनीय है कि होलकर परिवार की इस मंदिर के प्रति श्रद्धा है।
सन् 2006 में हुई सबरीना की शादी को चिरस्थायी रखने के लिए इसी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। इसके पश्चात दोपहर में अहिल्येश्वर मंदिर में भी पूजन का कार्यक्रम होना था। परंतु यहां भी किसी कारणवश पूजन नहीं हो सका। यहां ब्राह्मण पूजन की तैयारी कर दूल्हा-दुल्हन की राह देखते रहे। बाद में यह पूजन लग्न के समय ही संपन्ना हो सका।
सिंधिया परिवार ने लिया नौका विहार का लुत्फ
शादी में सम्मिलित होने आए ग्वालियर के महाराज व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पत्नी, बेटे एवं अन्य परिजनों के साथ नौका विहार का लुत्फ उठाया। वे यहां दोपहर में राजवाड़ा से निकलकर नर्मदा के दक्षिण तरफ लगे टेंटों में गए और काफी देर तक रुके। उनसे बातचीत करना चाही, परंतु श्री सिंधिया बोले आज परिवार का दिन है।
100 साल पुरानी साड़ी पहनाने में लगा एक घंटा
जहां सादगी के लिबास में बिना मेहंदी के दूल्हा-दुल्हन दिखाई दे रहे थे, वहीं महेश्वरी कुर्ता-पायजामा और सर पर हेट लगाए शिवाजीराव के साथ उनकी पत्नी ईजाबेल साथ में थी। अलग चल रही शालिनी होलकर विशेष पहनावे में नजर आई।
उन्होंने उनकी सास शर्मिष्ठा देवी की करीब 100 वर्ष पुरानी महेश्वरी हथकरघे पर बनी टीसू की 9 वार (16 हाथ) की साड़ी को लुगड़ा पद्धति (महाराष्ट्रीयन तरीके) से पहना हुआ था। इस साड़ी को पहनाने में 3 महिलाओं को एक घंटे से भी ज्यादा का समय लगा। इस दौरान उन्होंने बुनकरों के साथ पंगती में भोजन किया। उनके साथ निर्माता-निर्देशक मुजफ्फर अली ने भी भोजन किया।
प्रेम का पर्याय है होलकर परिवार
लगभग एक दशक में ही दूसरी बार महेश्वर किले में शहनाई बजी। इस आयोजन को लेकर महेश्वरवासियों ने प्रसन्नाता जताई। उनका कहना है कि होलकर परिवार प्रेम का पर्याय है। लंबे समय से होलकर परिवार को करीब से देख रही राजूबाई व मोहिनीबाई का कहना है कि समय बदला और घराना परंपरा खत्म हो गई। इसके बावजूद रिचर्ड होलकर व परिवार ने महेश्वर के साथ नाता जोड़े रखा।
नगर के ही इकबाल अंसारी व मोहनसिंह का कहना है कि वैवाहिक आयोजन अतीत परंपरा को ताजा करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि युवराज यशवंतराव होलकर भी भविष्य में इस नगर से नाता जोड़े रखेंगे। गौरतलब है कि रिचर्ड होलकर समय-समय पर यहां समय बिताते हैं। महेश्वरी साड़ी उद्योग को लेकर भी लगातार प्रयोग कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ख्याति पहुंचाने में भूमिका निभाते हैं।