पाक्षिक :::::: जीएसटी में कई अधिवक्ता हो जाएंगे बेकार
630 : चार्टर्ड एकाउंटेंट 129 : कर-अधिवक्ता 14,800 : करदाता ------ वीरेंद्र ओझा, जमशेदपु
630 : चार्टर्ड एकाउंटेंट
129 : कर-अधिवक्ता
14,800 : करदाता
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वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर :
देश में एक जुलाई से लागू होने वाली जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के रूप में जो नई कर-व्यवस्था लागू हो रही है, वह पूरी तरह तकनीक पर आधारित है। इसमें सारा ब्योरा या विवरण ऑनलाइन ही भरना होगा। ना कर संग्रह अधिकारी या कर्मचारी से मिलने की आवश्यकता होगी, ना कोई कागजात दिखाने या जमा करने की जरूरत होगी। व्यापारी को खुद ही सारा ब्योरा भरना होगा। हालांकि यह व्यवस्था वैट, सेंट्रल एक्साइज व सर्विस टैक्स में भी थी, लेकिन आंशिक रूप से। लिहाजा इसमें कर-अधिवक्ताओं के लिए काफी गुंजाइश बची रहती थी। खासकर ऑडिट-अपील के मामले में कर-अधिवक्ता या सीए पर व्यवसायी-उद्यमी ज्यादा निर्भर रहते थे।
अब यह सवाल सबके मन में कौंध रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद कर-अधिवक्ताओं की कितनी आवश्यकता रहेगी। वह क्या करेंगे। इस पर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ), जमशेदपुर शाखा के चेयरमैन विवेक चौधरी बताते हैं कि इसमें वही कर-अधिवक्ता काम कर पाएंगे, जो टेक्नोलाजी फ्रेंडली होंगे। कई ऐसे बुजुर्ग कर-अधिवक्ता हैं, जिन्हें तकनीकी ज्ञान कम है। तकनीक से अवगत हैं, तो सॉफ्टवेयर से वाकिफ नहीं है। निश्चित रूप से उन्हें परेशानी होगी।
हाल ही में जीएसटी माइग्रेशन के समय सॉफ्टवेयर की जानकारी नहीं होने के कारण कई कर-अधिवक्ता डिजिटल सिग्नेचर अपलोड नहीं कर पाए थे। अधिकारी या बाबू से पूछकर काम करने की आदत है। अब यह सब नहीं चलेगा, लिहाजा जीएसटी में कई कर-अधिवक्ताओं के पास कोई काम नहीं रहेगा।
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हर तीन साल पर होगा ऑडिट
मौजूदा कर-व्यवस्था में प्रतिवर्ष रिटर्न का ऑडिट होता था, जबकि जीएसटी में हर तीन वर्ष पर ऑडिट होगा। उसमें भी सीए या अधिवक्ताओं की भूमिका कम ही होगी। गड़बड़ी होने पर विभाग करदाता से दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहेगा, जो उसके स्टॉक और सेल से संबंधित होंगे। जुर्माना या फाइन भी करदाता को ऑनलाइन ही जमा करना होगा, वह भी निर्धारित समय के अंदर।
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कंप्यूटर ऑपरेटर की बढ़ेगी मांग
जीएसटी आने के बाद एकाएक कंप्यूटर ऑपरेटर की मांग बढ़ेगी, क्योंकि इसमें हर माह तीन ऑनलाइन रिटर्न भरना होगा। सीए विवेक चौधरी बताते हैं कि ऑपरेटर भी टैक्स प्रैक्टिशनर के यहां बढ़ेंगे, व्यापारी के यहां कम। चूंकि इसमें सिर्फ सेल की इंट्री करनी है, लिहाजा क्लाइंट को ज्यादा परेशानी नहीं होगी। हम उसे सबमिट करने से पहले चेक कर लेंगे, क्योंकि इसमें फार्मेट का सभी डाटा फीड करना अनिवार्य होगा।
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सॉफ्टवेयर की भूमिका कम
अभी तक बाजार में विभिन्न कंपनियों के एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, लेकिन जीएसटी में उसकी भूमिका भी कम हो जाएगी। जीएसटी का पोर्टल ही इतना सरल है कि उसे आसानी से भरा जा सकता है।
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करीब 60 प्रतिशत कर-अधिवक्ता कंप्यूटर पर खुद काम कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने स्टाफ भी रखा है। अकेले 50-60 क्लाइंट का काम किया भी नहीं जा सकता।
- केएल मित्तल, अध्यक्ष, जमशेदपुर कमर्शियल टैक्स बार एसोसिएशन