दुष्कर्म मामलों में फिंगर टेस्ट पर हाईकोर्ट की रोक
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार की घटनाओं की जांच के लिए हैदराबाद लेबोरेटरी की
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार की घटनाओं की जांच के लिए हैदराबाद लेबोरेटरी की तरह उत्तर प्रदेश में भी डीएनए टेस्ट प्रयोगशाला स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा को निर्देश दिया है कि बलात्कार पीड़िता एवं आरोपी के शरीर पर प्राप्त सभी साक्ष्यों का डीएनए टेस्ट कराए। किसी भी दशा में पीड़िता का फिंगर टेस्ट न किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि बलात्कार मामले में गवाहों के पक्षद्रोही होने पर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान लखनऊ को आदेश दिया है कि न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे धारा 313 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सही तरीके से प्रश्नावली बना सकें और अपराध के लिए अभियोजन में मदद मिले।
यह आदेश न्यायमूर्ति अमर सरन तथा न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी ने बदायूं के अख्तर की अपील पर दिया है। बदायूं में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी। इसकी प्राथमिकी चार अप्रैल 2012 को उजानी थाने में दर्ज करायी गई है। सत्र न्यायालय ने अख्तर को बलात्कार व हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इसका रिफरेंस हाईकोर्ट भेजा गया था। कोर्ट ने इस रिफरेंस को खारिज करते हुए रेयर आफ रेयरेस्ट केस नहीं माना और फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है।