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रिमझिम बारिश से घट गई बिजली की मांग, 17 सौ मेगावाट की कमी

दिल्ली में बिजली की मांग चार हजार मेगावाट से नीचे आ गई है। बवाना और राजघाट संयंत्र से नहीं हुआ बिजली उत्पादन नहीं हुआ।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2015 10:21 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2015 12:31 PM (IST)

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली में बिजली की मांग चार हजार मेगावाट से नीचे आ गई है। बवाना और राजघाट संयंत्र से नहीं हुआ बिजली उत्पादन नहीं हुआ।

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लगातार हो रही रिमझिम बरसात से दिल्ली में बिजली की मांग में लगभग 17 सौ मेगावाट की कमी आई है। मांग में कमी आने से दिल्ली के बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन में भी गिरावट आई है।

यदि इसी तरह से बारिश होती रही तो आने वाले दिनों में बिजली की मांग में और कमी आ सकती है। इससे बिजली कटौती से जूझ रहे दिल्ली के कई इलाके में रहने वालों को राहत मिलेगी।


जुलाई शुरू होते ही बिजली की मांग में लगातार बढ़ोतरी होने लगी थी। तीन जुलाई को मांग 5627 मेगावाट तक पहुंच गी थी। इसके बाद भी पांच हजार मेगावाट से ऊपर बिजली की मांग रह रही थी, जिससे घनी आबादी वाले इलाके में लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा था।

पिछले तीन दिनों से हो रही बरसात के कारण मांग में कमी आने लगी है। न्यूनतम मांग में भी गिरावट आई है। पिछले दिनों लगभग 35 सौ मेगावाट न्यूनतम मांग थी लेकिन आज मात्र 2759 मेगावाट ही मांग रही।

लोड बढऩे की समस्या से मिली राहत
बिजली अधिकारियों का कहना है कि यदि इसी तरह से मौसम मेहरबान रहा तो अगले दिनों में भी ज्यादा बिजली की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे बिजली की कमी और लोड बढऩे से होने वाली परेशानी नहीं होगी।

उल्लेखनीय है कि लोड बढऩे से कई इलाके में ट्रांसफार्मर और अन्य उपकरणों में खराबी आने से कई इलाके में घंटों बिजली गुल रहती है। सबसे ज्यादा परेशानी घनी आबादी और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को होती है।

कम पैदा हुई बिजली

दिल्ली के बिजली संयंत्रों ने बिजली के उत्पादन में आज कमी कर दी। गैस आधारित बवाना बिजली संयंत्र ठप रहा। अन्य दिनों इससे लगभग तीन सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था। इसी तरह से राजघाट से भी बिजली का उत्पादन नहीं हुआ। वहीं, बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन से आज 377 मेगावाट तथा प्रगति बिजली संयंत्र से 142 मेगावाट का बिजली उत्पादन हुआ। सभी संयंत्रों से दिल्ली को लगभग छह सौ मेगावाट बिजली मिली। जबकि गर्मी के इस मौसम में इन संयंत्रों से रोजाना लगभग एक हजार मेगावाट बिजली दिल्ली को मिल रही थी।


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