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बृजेश सिंह समेत पांच आरोपी गैंगस्टर से मुक्त

लखनऊ। गिरोहबंद अधिनियम के एक मामले में विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर) लल्लू सिंह ने माफिया बृ

By Edited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 10:09 PM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 10:09 PM (IST)
बृजेश सिंह समेत पांच आरोपी गैंगस्टर से मुक्त

लखनऊ। गिरोहबंद अधिनियम के एक मामले में विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर) लल्लू सिंह ने माफिया बृजेश कुमार सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह सहित पांच आरोपियों को गिरोहबंद अधिनियम के आरोप से मुक्त करते हुए सभी आरोपियों पर हत्या के प्रयास के आरोप में विचारण के लिए तीन दिसंबर की तिथि नियत की है।

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अभियोजन के अनुसार 13 जनवरी 2004 को रात नौ बजे तत्कालीन विधायक कृष्णा नन्द राय (दिवंगत) एवं मुख्तार अंसारी के बीच दोनों ओर से लखनऊ के कैंटोमेंट चौराहे के पास फाय¨रग कर जानलेवा हमला हुआ था। इसमें एक पक्ष की ओर से स्वयं कृष्णानंद राय एवं मुख्तार अंसारी की ओर से उनके ड्राइवर ने कैंट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने मुख्तार अंसारी की ओर से दर्ज रिपोर्ट में गैंग लीडर बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह, अजय सिंह उर्फ गुड्डू, सुनील राय एवं आनंद राय के विरुद्ध एक दिसंबर 2006 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था।

न्यायालय के पूर्व आदेश के अनुपालन में बनारस सेंट्रल जेल से बृजेश सिंह एवं पीलीभीत जेल से त्रिभुवन सिंह को आज को अदालत में पेश किया गया जबकि अन्य आरोपी व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। बचाव पक्ष का तर्कथा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में कृष्णानंद राय सहित चार लोगों को नामजद किया गया जबकि मुख्तार अंसारी के ड्राइवर के बयान में उपरोक्त किसी आरोपी का नाम नहीं है। कहा गया एक दिसंबर 2006 को जब विवेचक ने बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह एवं अजय सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया उसके साथ गैंग चार्ट नहीं था, लेकिन 20 जुलाई 2007 को जब गैंग चार्ट बनाया गया। इसमें किसी उच्चाधिकारी की संस्तुति नहीं ली गई। इसके अलावा गैंग चार्ट में उन मुकदमों को दर्शाया गया है, जिनमें पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है। अदालत ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को गिरोह बंद के अपराध से आरोप मुक्त कर दिया। अदालत ने विस्तृत आदेश में कहा कि विवेचक ने अमरनाथ दुबे के मामले में उच्च न्यायालय के स्थापित दिशा निर्देशों एवं उसके आधार पर बनाए गए निर्देशों के विरुद्ध गैंग चार्ट बनाया। इसमें न तो किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष प्रेषित किया एवं न ही एसएसपी अथवा जिलाधिकारी का अनुमोदन प्राप्त किया। मुख्य बात यह है कि जब पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट का आरोप पत्र प्रेषित किया तब उनके विरुद्ध कोई गैंग चार्ट तैयार नहीं किया गया था। यह आरोप पत्र दाखिल करने के तीन माह बाद जब गैंग चार्ट किया गया तब शासनादेश एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का पालन नहीं किया गया। इस प्रकार उत्तर प्रदेश गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत जो कार्यवाही की गई है वह नियम विरुद्ध एवं स्थापित सिद्धांतों के विरुद्ध है।


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