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कैबिनेट फैसला: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड मुफ्त

उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब अल्ट्रसाउंड जांच मुफ्त होगी। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवाइयों के साथ उपचार की व्यवस्था तो पहले से ही थी। पैथोलॉजी के सौ परीक्षण व एक्स-रे भी मुफ्त करने की सुविधा उपलब्ध थी। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने एक सितंबर से नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा मुहैया

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 10:45 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 10:50 PM (IST)
कैबिनेट फैसला: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड मुफ्त

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब अल्ट्रसाउंड जांच मुफ्त होगी। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवाइयों के साथ उपचार की व्यवस्था तो पहले से ही थी। पैथोलॉजी के सौ परीक्षण व एक्स-रे भी मुफ्त करने की सुविधा उपलब्ध थी। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने एक सितंबर से नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा मुहैया कराने की घोषणा समारोह पूर्वक की थी। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस घोषणा को अमली जामा पहनाया गया। मंत्रिमंडल के फैसले के बाद इस बाबत शासनादेश भी जारी कर दिया गया। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविन्द कुमार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अब तक अल्ट्रासाउंड जांच के लिए 100 रुपये शुल्क निर्धारित है। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के सभी राजकीय चिकित्सालयों में यह सुविधा तत्काल प्रभाव से लागू होगी।

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औद्योगिक निवेश नीति संशोधन मंजूर

उत्तर प्रदेश में 200 करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत के अस्पतालों, मेडिकल व डेंटल कॉलेजों, शिक्षण संस्थानों और ग्रामीण क्षेत्र में विकसित किए जाने वाले शॉपिंग विलेज को भी अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति 2012 के तहत मेगा परियोजना का दर्जा मिलेगा। इन परियोजनाओं की स्थापना और उनके विविधीकरण या विस्तार के लिए औद्योगिक निवेश नीति के तहत मेगा परियोजनाओं को दी जाने वाली सुविधाएं मिलेंगी। औद्योगिक निवेश नीति 2012 के तहत मेगा परियोजना की परिभाषा में अभी तक सिर्फ विनिर्माण से जुड़ी निजी या संयुक्त क्षेत्र की परियोजनाएं ही शामिल थीं। कैबिनेट ने मंगलवार को औद्योगिक निवेश नीति के प्रस्तर 5.7 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए मेगा परियोजना की परिभाषा में अस्पतालों, मेडिकल/डेंटल कॉलेजों, शिक्षण संस्थानों व शॉपिंग विलेज तथा उनके विस्तार व विविधीकरण की परियोजनाओं को भी शामिल कर दिया है। कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि मेगा परियोजनाओं में निवेश के लिए किसी विभाग की विभागीय नीति न होने की दशा में ऐसी परियोजनाओं पर अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति 2012 के प्रस्तर 5.7 के प्रावधान लागू होंगे।

आजमगढ़ व कन्नौज में दुग्ध प्लांट

मंत्रिपरिषद ने कन्नौज और आजमगढ़ में नए दुग्ध प्लांट स्थापित करने को हरी झंडी देते हुए दस इकाइयों में कुल 20.60 लाख प्रतिलीटर क्षमता के नवीन ग्रीनफील्ड आटोमेटिक प्लांट लगाने पर सैद्धांतिक सहमति दी है। आजमगढ़ के प्लांट की संभावित लागत 1325 करोड़ रुपये आंकी गई। कन्नौज में बनने वाले प्लांट में केवल गाय का दूध ही इस्तेमाल किया जाएगा। प्रदेश में यह अपने तरह का पहला प्लांट होगा। मेरठ में पहली बार चीज प्लांट तथा बरेली में आइसक्रीम प्लांट व लखनऊ में फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट स्थापित करना प्रस्तावित है। पराग के लांगलाइफ दुग्ध उत्पाद बाजार में लाए जाएंगे।

पंवासा में संभल का मुख्यालय

संभल जिले का मुख्यालय पंवासा में बनाने का निर्णय लिया है। कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद संभल के विधायक व मत्स्य विकास मंत्री इकबाल महमूद व श्रम मंत्री शाहिद मंजूर ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर संभल जिले के मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर पंवासा में स्थापित करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति जताते हुए राजस्व अधिकारियों को पंवासा में जिला मुख्यालय स्थापित करने की कार्रवाई का निर्देश दिया। देर शाम सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पंवासा में मुख्यालय बनाने का निर्णय हो गया है।

इटावा को 118 करोड़ की योजना

राज्य सरकार ने इटावा बबर शेर प्रजनन केंद्र और लॉयन सफारी के पास पर्यटकों को बेहतर सुविधाए दिए जाने का निर्णय किया है। कैबिनेट ने 118 करोड़ रुपये लागत वाली विजिटर फैसिलिटेशन सेंटर (द्वितीय फेज) को मंजूरी दे दी। इसकी पुष्टि प्रमुख सचिव डा.संजीव सरन ने की। उन्होंने बताया कि फैसिलिटेशन सेंटर में रेस्टोरेंट समेत तमाम सुविधाएं उपलब्ध होगी। वन विभाग ने इस सेंटर का प्रस्ताव तैयार किया था। इसमे करीब पचीस मीटर ऊंचाई में बनने वाले टॉवर (व्यूहविंग डेक) से जंगल का नजारा लिया जा सकेगा। यहां फोर डी थियेटर और नाइट सफारी का भी सुविधा पर्यटक ले सकेंगे।

दाल स्टाक सीमा अवधि बढ़ी

दालों के मूल्य में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने दालों की स्टाक सीमा की अवधि को भारत सरकार की तर्ज पर 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है। कैबिनेट ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा-तीन के अधीन उत्तर प्रदेश अनुसूचित वस्तु व्यापारी (लाइसेंस देना और अपसंचय पर निर्बन्धन) आदेश, 1989 में 51वां संशोधन करते हुए एक जून 2008 की अधिसूचना द्वारा दालों के लिए निर्धारित स्टाक सीमा को भारत सरकार की 30 सितम्बर, 2014 की अधिसूचना द्वारा निर्धारित समय सीमा को 30 सितंबर 2015 तक बढ़ाने का निर्णय किया है। इसके तहत दालों का (समस्त प्रकार की दालों सहित) फुटकर विक्रेता 50 क्विंटल, थोक विक्रेता व कमीशन एजेंट 1500-1500 क्विंटल तथा विनिर्माता 30 दिन की उत्पादन क्षमता के बराबर स्टाक रख सकेंगे।

मैनपुरी में चार लेन सड़क को मंजूरी

कैबिनेट ने मैनपुरी बाइपास अन्य जिला मार्ग सिंधिया तिराहे से करहल चैक तक और शिकोहाबाद-भोंगांव राज्य मार्ग 84 सिंधिया तिराहा से ज्योति तिराहे की सड़क को चार लेन और उसका सुंदरीकरण करने का निर्णय किया है। करीब 4.20 किलोमीटर की यह सड़क अभी दो लेन है। इसी तरह सोनभद्र में कनहर सिंचाई पुन: पुनरीक्षित परियोजना में आने वाले व्यय को भी मंजूरी दे दी। परियोजना की लागत 223934.65 लाख रुपए है। इस परियोजना को वर्ष 2018 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके पूरा होने से 36,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की खरीफ एवं रबी में सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

निर्माण एजेंसियों की कार्य लागत में दोगुना इजाफा

कैबिनेट ने दूसरी व तीसरी श्रेणी की सरकारी निर्माण एजेंसियों की कार्य लागत दोगुना बढ़ाने का निर्णय किया है। मसलन, दूसरी श्रेणी की जो कार्यदायी संस्था 25 करोड़ रुपए के मानकीकृत कार्य करती थी, वह अब 50 करोड़ रुपए के कार्य कर सकेगी। कैबिनेट ने 12 फरवरी, 2013 के शासनादेश में निर्धारित लागत सीमा को संशोधित करने का निर्णय किया है। संशोधित नियमों के मुताबिक प्रथम श्रेणी की राजकीय निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी, राजकीय निर्माण निगम व सीएनडीएस (जल निगम) किसी भी लागत के मानकीकृत भवनों के निर्माण का कार्य कर सकेंगी जबकि द्वितीय श्रेणी की सरकारी निर्माण एजेंसी ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, समाज कल्याण निर्माण निगम व आवास एवं विकास परिषद अब50 करोड़ रुपए की लागत के भवनों का निर्माण कर सकेंगे। अब तक ये संस्थाएं 25 करोड़ रुपए तक के मानकीकृत भवनों का निर्माण कार्य कर सकती थीं। इसी तरह ये संस्थाएं 25 करोड़ रुपए तक के गैर मानकीकृत भवनों का निर्माण भी कर सकेंगी। तीसरे दर्जे की सरकारी निर्माण एजेंसी प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन, विधायन एवं निर्माण सहकारी संघ (पैकफेड) के मानकीकृत भवनों की लागत भवनों की लागत 10 से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये और गैर मानकीकृत भवनों की लागत सीमा पांच करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दी दी गयी है।


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