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कैबिनेट के फैसले: दलितों को मिलेगा जमीन बेचने का हक

उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने अनुसूचित जाति के लोगों को कलेक्टर की अनुमति से अपनी खेती की जमीन गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को बिना किसी प्रतिबंध के बेचने का हक देने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 09:56 PM (IST)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने अनुसूचित जाति के लोगों को कलेक्टर की अनुमति से अपनी खेती की जमीन गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को बिना किसी प्रतिबंध के बेचने का हक देने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में संशोधन करना चाहती है। अधिनियम में संशोधन के लिए शनिवार को कैबिनेट ने दूरगामी परिणाम वाला फैसला लेते हुए उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2015 के प्रारूप पर मुहर लगा दी है। सरकार अब इस विधेयक को मानसून सत्र में विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

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उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 की धारा-157(क) में अनुसूचित जाति के भूमिधर को कलेक्टर की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपनी जमीन बेचने, दान करने या उसका पट्टा देने का अधिकार नहीं है। इस सिलसिले में प्रतिबंध यह है कि अनुमति देने से पहले कलेक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि जमीन बेचने पर अनुसूचित जाति के व्यक्ति के पास कम से कम 3.125 एकड़ (1.26 हेक्टेयर) जमीन बच रही हो। यदि उसके पास इससे कम जमीन बच रही होगी तो कलेक्टर उसे जमीन बेचने की अनुमति नहीं देते हैं। सरकार का मानना है कि इस प्रतिबंध के कारण अनुसूचित जाति का भूमिधर आसानी से अपनी जमीन बेच नहीं पाता है। सरकार का तर्क है कि पीढ़ी दर पीढ़ी भूमि का विभाजन होने और आबादी बढऩे के कारण औसत जोत का आकार लगातार घट रहा है। इसलिए अनुसूचित जाति के लोगों के जमीन बेचने पर क्षेत्रफल का प्रतिबंध अब प्रासंगिक नहीं रह गया है। लिहाजा अधिनियम के प्रावधान को सरल बनाने की जरूरत है। प्रावधान को सरल बनाने के लिए सरकार विधेयक के जरिये अधिनियम में संशोधन कर धारा-157 (क) के परंतुक को हटाना चाहती है। सरकार का मानना है कि अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन से अनुसूचित जाति के भूमिधरों के हितों की सुरक्षा पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

इंसेफ्लाइटिस प्रभावितों को शुद्ध जल

हर साल जापानी इंसेफ्लाइटिस व एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम की चपेट में आकर जान गंवाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अच्छी खबर है। राज्य मंत्रिमंडल ने इंसेफ्लाइटिस प्रभावित मलिन बस्तियों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इससे दस जिले के 17 नगर निकायों के लोग लाभांवित होंगे।

केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने जापानी इंसेफ्लाइटिस व एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से प्रभावित जिलों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए विशेष योजना शुरू की है। राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में वर्तमान वित्तीय वर्ष के अलावा अगले वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए इस योजना को लागू करने का फैसला किया है। इसमें 75 प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र सरकार करेगा। शेष 25 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था राज्यांश के रूप में की जाएगी। पेयजल आपूर्ति की यह योजना आजमगढ़, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर और सिद्धार्थनगर के 17 नगर निकायों में लागू होगी। योजना के क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति का गठन किया गया है। इसमें प्रमुख सचिव/सचिव वित्त, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण के साथ-साथ निदेशक स्थानीय निकाय, मुख्य अभियंता नगर विकास और संबंधित नगर निकाय के नगर आयुक्त व अधिशासी अधिकारी सदस्य होंगे। इस योजना के लिए राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी के रूप में नामित राज्य नगरीय विकास अधिकरण (सूडा) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सदस्य सचिव होंगे।

संस्कृत परिषद व मदरसा बोर्ड छात्राओं को भी कन्या विद्या धन

संशोधित कन्या विद्या धन योजना का लाभ अब वर्ष 2015 में उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद और उप्र मदरसा बोर्ड की इंटरमीडिएट स्तर की परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाली मेधावी छात्राओं को भी मिलेगा। योजना के तहत लाभार्थी छात्रा को 30000 रुपये की धनराशि एकमुश्त दी जाती है। इससे पहले कैबिनेट ने वर्ष 2015 में यूपी बोर्ड के साथ सीबीएसई और आइएससी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली मेधावी छात्राओं के लिए संशोधित कन्या विद्या धन योजना लागू करने का फैसला किया था। संशोधित कन्या विद्या धन योजना के लिए चालू वित्तीय वर्ष के बजट में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट ने कुल आवंटित धनराशि का 75 फीसद यूपी बोर्ड की मेधावी छात्राओं को योजना का लाभ देने के लिए तय किया था। वहीं शेष 25 फीसद धनराशि में से 75 प्रतिशत सीबीएसई और 25 प्रतिशत आइएससी बोर्ड की छात्राओं के लिए निर्धारित की गई थी। कैबिनेट ने अब तय किया है कि यूपी बोर्ड की छात्राओं के लिए निर्धारित धनराशि में से पांच-पांच प्रतिशत धनराशि उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद और उप्र मदरसा बोर्ड की मेधावी छात्राओं के लिए आवंटित की जाएगी। यदि योजना के लिए अपेक्षित संख्या में उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद और उप्र मदरसा बोर्ड की मेधावी छात्राएं नहीं मिलती हैं तो मुख्यमंत्री के अनुमोदन से बची हुई धनराशि का वितरण यूपी बोर्ड की मेधावी छात्राओं को किया जाएगा। योजना से लाभान्वित होने वाली मेधावी छात्राओं का चयन संशोधित कन्या विद्या धन योजना के लिए 18 जून को जारी शासनादेश के अनुसार किया जाएगा।


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