दृष्टिविहीनों ने सरकार को दिखाई आंखें
जागरण संवाददाता, शिमला : उपेक्षित प्रदेश के दृष्टिविहीनों ने सरकार को आंखें दिखाई हैं। सचिवालय में हाजिरी भरकर इन लोगों ने कहा है कि प्रदेश में नियमों के तहत कार्यरत दृष्टिविहीन जलवाहक पदोन्नति से महरूम हैं। वरीयता से सरकार यदि प्रमोशन और नियमितीकरण का तोहफा वाटर करियर को दे रही है तो दृष्टिविहीन इस फेहरिस्त में शामिल ही नहीं हो पा रहे हैं। दैनिक वेतन भोगी पद पर पाटटाइम जलवाहकों को वरीयता न देने पर जनरल वर्ग ज्यादा लाभ पाएंगे। ऐसे वर्ग की संख्या ज्यादा होने से दृष्टिविहीन इस दायरे में आ ही नहीं पाएंगे। वर्ष 2001-2002 में सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश से बैकलॉग को भरते हुए शिक्षा विभाग में दृष्टिविहीनों को जलवाहक के पदों पर नौकरी से नवाजा था। आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर भी सरकार उन्हें अगले उच्च पद पर आसीन नहीं कर पाई है।
प्रदेश में 60 दृष्टिविहीन इस बाबत उखड़े हुए हैं। साथ ही फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्रों के मामले में पहले ही सरकार से खफा हैं।
दृष्टिविहीन जनसंगठन ने भाजपा सरकार को विधानसभा चुनाव में वोट बैंक में सेंध लगाने की चेतावनी भी दी थी। इसके बाद सरकार ने संघ को वार्ता का बुलाया था। शुक्रवार देर सायं संघ ने सरकार के समक्ष मांगों का पिटारा खोला। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष प्रदेश में फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरियां देने की शिकायत की गई है। वहीं 38 लोगों के नाम जांच के लिए फिर सरकार को सौंपे हैं। मांग की गई है कि जब लुधियाना, दिल्ली, देहरादून में ही शॉर्टहैंड के कोर्सिस दृष्टिविहिनों के लिए हैं तो हिमाचल में बिना सहयोगी की मदद से साधारण उपकरणों पर सीखने वालों को दृष्टिविहीनों के हिस्से की नौकरियां कैसे दी गई। आरोप है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश में दृष्टिविहीनों की करीब 300 नौकरियां फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र के आधार पर चहेतों को दी हैं। 2001 से 12 तक हिमाचल में दृष्टिविहिनों के विकलांगता सेक्टर में जैसे बाढ़ आ गई है।
'सरकार से पात्र दृष्टिविहीन जलवाहकों को नियमितीकरण के लिए वरीयता आधार न रखने की अपील की है। वहीं फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्रों से जिन 38 लोगों ने नौकरियां पाई है उनकी सूची थमाते हुए मेडिकल बोर्ड में दोबारा जांच की मांग की है।'
- शोभू राम, अध्यक्ष, दृष्टिविहिन जनसंगठन।
'दृष्टिविहीन जलवाहकों को आठ साल के बाद नियमितीकरण के लिए दूसरे विभागों से रिपोर्ट तलब की जा रही है। फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्रों पर यदि नौकरियां ली हैं तो जांच होगी। इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव के साथ शीघ्र बैठक की जाएगी।'
वीसी फारका, प्रधान सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग।
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