जीवन में न सुख टिकता है न दुख : संत आशाराम
प्रतापगढ़ : प्रख्यात संत आशाराम बापू ने कहा कि आदमी को जीवन में दुखी नहीं होना चाहिए। जीवन में न तो सुख टिकता है और न ही दुख।
बापू जी शुक्रवार देर रात चिलबिला स्थित आश्रम में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य का शरीर कुछ नहीं, आत्मा ही सबकुछ है। ईश्वर को पाने के लिए मनुष्य का जन्म हुआ है। सिर्फ परमात्मा ही अपना है। बापू जी के शिष्य सुरेशानंद ने कहा कि यदि जीवन में बरकत लानी है तो गीता के 19वें अध्याय का पाठ नित्य करने के बाद ही अन्न ग्रहण करें। अमावस्या के दिन गीता के सातवें अध्याय का पाठ करके पितरों को अर्पित करें। इससे भी मनुष्य का कल्याण होगा। संत आशाराम बापू शुक्रवार की रात लगभग साढ़े दस बजे बेल्हा पहुंचे। नगर के भंगवाचुंगी चौक घंटाघर व चिलबिला में उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान पूर्व विधायक रामलखन यादव, हरि प्रताप सिंह, राजेंद्र तिवारी, आरबी सिंह, वंदना सिंह, रोशन लाल ऊमरवैश्य, रामजी सोनी, श्याम सुन्दर टाऊ, लखन भाई, रेशमा सिंह, विमला सिंह, आनंद सिंह सहित सैकड़ों भक्तगण मौजूद रहे। बापू जी ने शुक्रवार की रात चिलबिला स्थित आश्रम में प्रवास किया। शनिवार को वे सुलतानपुर की ओर रवाना हो गए।
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