बरती जाती सुरक्षा तो नहीं जाती जान
कार्यालय संवाददाता, खगड़िया: डीआरडीए परिसर में सूखे पेड़ गिरने से भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह उर्फ कन्हैया जी की हुई मौत के मामले को लेकर जहां भाजपाईयों में प्रशासन के प्रति रोष व्याप्त है वहीं इसको लेकर कई सवाल खड़े किये जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि शुक्रवार की सुबह में उक्त सूखे पेड़ को जड़ से कटाई होते देख उच्चाधिकारियों ने इसे यह कह कर रुकवा दिया कि इसके गिरने से लोगों के जानमाल का खतरा है। इसके बाद पेड़ काटने के काम को रोक दिया गया, पर वहां न तो बैरिकेटिंग की गयी और न ही सुरक्षा के लिहाज से होमगार्ड तक को लगाया गया। यही कारण है कि लोग आम दिनों की तरह पेड़ के आसपास बेफिक्र होकर अपने नेता के मीटिंग से बाहर निकलने का इंतजार करते रहे। क्योंकि रूढ़सेटी भवन में अनुश्रवण समिति की बैठक चल रही थी। इधर, अचानक पेड़ गिरने से कन्हैया जी नीचे दब गये। शहर में कुछ लोग चर्चा करते दिखे कि मोटर साइकिल को बचाने में उनकी जान गयी। जबकि सच्चाई यह है कि उनकी मोटर साइकिल वह नहीं है जो पेड़ गिरने से नीचे दब गयी।
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो पेड़ गिरने के समय आवाज सुनकर वहां खड़े सैकड़ों लोग भाग कर अपनी जान बचा लिये, पर कन्हैया जी किस कारण नहीं भाग पाये कहना कठिन है। बहरहाल लोग तरह-तरह से घटना की व्याख्या करने में लगे हैं। पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पेड़ की कटाई व सूखे पेड़ के लंबे अंतराल से खड़ा छोड़ देना लापरवाही नहीं तो और क्या हो सकता है। इधर, भाजपा के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रामानुज चौधरी का कहना है कि कन्हैया जी के असमय गुजरने से उनके परिवार के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। इसलिये वे चुप बैठने वाले नहीं हैं। इस घटना के दोषी के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर वे लड़ाई लड़ेंगे ताकि सरकार से पीड़ित परिवार को सहायता मिल सके। इधर जदयू नेता व सांसद दिनेश चन्द्र यादव ने घटना को दुखद बताते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को धैर्य प्रदान करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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