हैलट इमरजेंसी में पट्टी न रुई, कैसे लगे सुई
कानपुर, रिपोर्टर : प्रदेश सरकार करोड़ों रुपयों से हैलट का कायाकल्प करने के प्रयास में है लेकिन अस्पताल प्रबंधन शायद ऐसा नहीं चाहता। भारी अव्यवस्थाओं की तमाम शिकायतों के बाद भी अस्पताल के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। आलम यह है कि मरीजों को रुई पट्टी तक नहीं मिल पा रही है। वहीं नर्सो के लापता होने से मरीजों को सुई लगाने वाला भी कोई नहीं है। सेवा में जुटे जूनियर डॉक्टरों को तीमारदारों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज संबद्ध हैलट इमरजेंसी में मंगलवार दोपहर अचानक हादसे में घायल लोगों के पहुंचने से अफरा तफरी मच गई। यहां वार्ड ब्वाय के लापता होने के चलते लोग मरीजों को गोद में या फिर कंधे पर लादकर ले जाने को मजबूर रहे। मरीज का खून रोकने के लिए रुई पट्टी तक नहीं थी। जबकि घायलों को तुरंत ही इसकी पर्ची थमा दी गई। तीमारदार भागकर रुई पट्टी और लोशन लाया तो जूनियर डॉक्टर ने सेवा देनी शुरू की। इस बीच सुई लगाने का नंबर आया तो नर्सो के कमरे में ताला पड़ा दिखा। वहीं एक नर्स पीआरओ की भूमिका निभा रही थीं। तीमारदारों को परेशान देख प्रशिक्षु नर्स पहुंची और उसने इंजेक्शन लगाने शुरू किए। परेशान लोगों ने कमरे में बैठकर किताबों में खोए ईएमओ से संपर्क किया तो उन्होंने भी रुई पट्टी खत्म होने की बात कह उसे उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिए।
'केवल दो ही वार्ड ब्वाय ड्यूटी पर थे। इसके चलते स्ट्रेचर ले जाना मुश्किल था। वहीं मशीन खराब होने के चलते रुई व पट्टी नहीं आ पा रही है। यह सब इंतजाम करना मेरा काम नहीं है।'
डॉ. एसबी मिश्रा, इमरजेंसी मेडिकल आफीसर
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