बॉडर व संस्कृति की रक्षा साथ-साथ : सहायक सेनानायक
बेतिया। बहन और भाई के प्यार और रक्षा का महापर्व रक्षाबंधन नरकटियागंज एसएसबी मुख्यालय में धूमधाम से स
बेतिया। बहन और भाई के प्यार और रक्षा का महापर्व रक्षाबंधन नरकटियागंज एसएसबी मुख्यालय में धूमधाम से सम्पन्न हुआ। दैनिक जागरण के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम मे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहनें और संत पौल्स स्कूल की छात्राओं ने अधिकारियों व जवानों के कलाई में राखी बांधी। अपने संबोधन मे 44वीं वाहिनी के सहायक सेनानायक ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि रक्षा बंधन का यह महापर्व हमारे लिए हमारे जवानों के लिए खास है। हम भले ही अपने घर परिवार से दूर है लेकिन इस बात की जरा भी परवाह नही । क्योंकि हमें एक साथ इतनी सारी बहनों का प्यार और आशीर्वाद मिला। सेनानायक ने कहा कि 44वीं वाहिनी सीमा क्षेत्र की सुरक्षा के साथ साथ समाज व संस्कृति की सूरक्षा पर खरा उतरेगी और विश्वास जीतने में कामयाबी हासिल करेगी। जब जैसे जरूरत होगी हम देश की सुरक्षा और अपनों की रक्षा के लिए तैयार खडे़ मिलेंगे। वाहिनी के लिए यह यादगार पल साबित हुआ है। मानों हम अपने परिवार और अपनी बहनों के साथ है। यह कभी ना भुलाई जाने वाली वो हकीकत है जिसे चंद शब्दों मे बयान नही किया जा सकता। सेनानायक ने दैनिक जागरण की इस पहल की भूरी भूरी प्रशंसा की। वही प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वद्यिालय की संचालिका अबिता बहन ने कहा कि बहने भाई के लिए तरसती हैं लेकिन हमें गर्व है कि हमारे बीच मे एक साथ हमारे रक्षक और प्राणों से बढ़कर इतने सारे भाई मौजूद हैं। अपने घरों से दूर त्याग और तपस्या के साथ हमारी रक्षा के लिए यहां मौजुद हैं। हम कभी भी इन्हें यह महसूस नही होने देंगे कि ये अपनों से दूर हैं। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संत पौल्स सकूल के प्राचार्य प्रदीप कुमार सेराफिन उर्फ दीपू ने कहा कि दैनिक जागरण का यह प्रयास उन भाइयों के लिए वरदान है जो अपने अपने घरों से दूर देश की सुरक्षा मे लगे हैं। एक ओर देश की सूरक्षा का सवाल है तो दूसरी ओर परिवार ऐसे मे जब इस प्रकार का आयोजन हो तो बहनो को भाई और भाइयों को बहन मिल जाती है। यही तो भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। इस दौरान अबिता बहन और स्कूली बच्चियों ने अधिकारियों व जवानों के कलाइयो पर राखी बांध कर एक दूसरे की रक्षा करने का संकल्प लिया। मौके पर एसएसबी के डा. टीपी निखिल,अंकित अग्रवाल, रवि कांत सिंह,कपिल चौधरी, नरेन्द्र सिंह,मोहन लाल, पुरमन राम,लखन सिंह, रविन्द्र सिंह, बहादुर यादव,अच्छे मियां, ¨रकु रंजन शर्मा,गोपाल यादव,संत पौल्स स्कूल के शिक्षक सुशील कुमार, बच्चन पाण्डेय विश्वविद्यालय की रेखा बहन बेबी बहन, कामेश्वर भाई, बच्चन भाई, अनिल भाई, नीरज भाई पत्रकार प्रभात मिश्र, सतीश कुमार पाण्डेय उमेश्वर पाठक मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहायक सेनानायक ऋषिकेश उपाध्याय और संचालन प्रभात मिश्र ने किया।
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.. दे रही दुआएं आज बहना तेरी, मेरे भइया हो लम्बी उमरिया तेरी
प्रभात मिश्र/सतीश पाण्डेय, नरकटियागंज : विभिन्न भाषा भिन्न वेश भारत अपना एक देश का नारा बुलंद करने वाले हमारे पहरूए जो दिन रात हमारी रक्षा का संकल्प लेकर सोते और जागते हैं आज उनके लिए बहनो के दिलो से निकल रही थी दुआएं। सामने देश के रक्षक खडे़ मंद मंद मुस्करा रहे थे। अपनों से दूर अपनी बहनों से दूर होने की जरा भी परवाह नही थी। हो भी क्यूं एक साथ प्यारी और दुलारी बहने कलाइयों पर प्यार का कभी ना मिटने और टूटने वाला धागा जो बांध रही थी। एक ओर कश्मीर हो कन्याकुमारी भारत माता एक हमारी का नारा बुलन्द हो रहा था तो दूसरी ओर अनगिनत दिलों से प्यार और समर्पण की मजबूत बुनियाद खड़ी हो रही थी। एसएसबी 44 वी वाहिनी का मुख्यालय ऐतिहासिक पल का गवाह बन रहा था। एक ओर अबिता बहन,रेखा बहन और बेबी बहन तो दुसरी ओर खुशबू, दीक्षा, अनामिका,नुसरत प्रवीण, अलका, सोनाली, अंशु, अदिति,सुनिधि,पुजा और अंशिका समेत अनगिनत बहने ऐतिहासिक पल को यादगार बना रही थी। कार्यक्रम के दौरान जवानो और बहनो के बीच जज्बातों का ऐसा रिश्ता कायम हो गया जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती। आरती उतारना, माथे पर तिलक लगाना और फिर कलाईयों पर राखी बांध मुह मिठा कराना सब कुछ ऐसे हो रहा था मानो बहने अपने अपने घरों मे हो। बहनो के प्यार और दुलार के आगे भला भाई अपने जजबातों को कैसे रोक पाते आशिर्वाद के साथ साथ शुरू हो गया सेल्फी लेने का दौर। कहते है कि रिश्तों और जज्बातों की कोई परिभाषा नही होती । ठीक वैसे ही जैसे रक्षा बंधन का यह महापर्व। भाई बहन के अटूट रिश्तो की गवाही बयान करता यह महान पर्व सदियों पुरानी भारतीय संस्कृति की पहचान है तो सामाजिक स्तर पर संदेश देने वाला कि राखी सिर्फ धागों का त्यौहार नही बल्कि एक दुसरे की रक्षा का संकल्प भी है। देश के पहरूए अपने अपने घरों से दूर हमारी रक्षा के लिए अपनी प्राणों की आहुति हंसते हसते दे देते है। सरहद पर वो जागते हैं तो देशवासी सोते हैं। ऐसे मे हमारी धरती की रक्षा का संकल्प लेकर वो जब हमारे बीच आएं तो निकल पड़ते हैं जज्बातों के उदगार कि .. दे रही दुआएं आज बहना तेरी मेरे भइया हो लम्बी उमरिया तेरी।