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अब पढ़ाई में लग रही मेहनत की कमाई

रांची : रांची के गांवों से लेकर शहर की स्लम बस्तियों तक में महिलाओं ने एक जंग ठानी है, समाज को जागरू

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 02:05 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 02:05 PM (IST)

रांची : रांची के गांवों से लेकर शहर की स्लम बस्तियों तक में महिलाओं ने एक जंग ठानी है, समाज को जागरूक करने और सही दिशा में लाने के लिए। मुहल्लों में कोई तो गांवों में कोई और कर रहा है नेतृत्व। छोटे-छोटे दलों में चल रहे इस आंदोलन के कई चेहरे दिखते हैं लेकिन लेकिन लक्ष्य एक है। समाज को नशे की प्रवृत्ति से दूर कर शिक्षा की राह पर लाना और एक सुशिक्षित समाज का निर्माण करना। परिणाम भी सामने आया है। जिन घरों के मर्द हाड़तोड़ मेहनत की कमाई नशे में उड़ा देते थे अब वो पढ़ाई में पैसे लगाने लगे हैं।

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कभी नशे में चूर रहनेवाला फागू मुंडा अब नशा नहीं करता। तिरिल का फागू मुंडा अकेला ऐसा उदाहरण नहीं है। फागू और उसके जैसे दर्जनों लोगों को मैदान से लेकर सड़कों पर पूरे दिन नशे में चूर देखा जा सकता था लेकिन अब हालात बदले हैं। तिरिल में स्थानीय स्तर पर हड़िया (लोकल दारू) का निर्माण भी बंद हो चुका है। सो, उसके बच्चे अब सरकारी स्कूल में ही सही, अक्षर ज्ञान लेने पहुंच रहे हैं। फागू में यह बदलाव किसी एक घटना या किसी बड़े परिवर्तन से नहीं आया है बल्कि उस आंदोलन की देन है जो तिरिल जैसी बस्तियों में हर दूसरे दिन देखने को मिल रही थी।

आदिवासी समाज के मर्दो में नशे की बुरी लत का सर्वाधिक कुप्रभाव बच्चों और महिलाओं पर पड़ रहा था। सो, शिक्षित होती महिलाओं ने पूरे समाज का बीड़ा उठाया और नशे की जड़ को ही समाप्त करना शुरू किया। आंदोलन की शुरुआत आक्रामक रही। हड़िया और लोकल दारू के निर्माण केंद्रों पर आक्रामक प्रहार किया जाता और जड़ ही खत्म। एक जगह से शुरू हुई लड़ाई पूरे क्षेत्र में फैल गई।

नशामुक्ति अभियान समिति, बांधगाड़ी की अध्यक्ष मीना टोप्पो आज बेहद खुश हैं। कहती हैं, नशामुक्ति अभियान से जुड़कर कुछ ऐसा काम कर पा रही हैं जिससे समाज को कुछ लाभ मिलने की संभावना दिख रही है। अब वह उत्क्रमित मध्य विद्यालय की अध्यक्ष भी हैं। पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ काफी तेज भी हैं। अध्यक्ष बनने की घटना भी सामान्य नहीं है। नशामुक्ति अभियान की बैठक हो रही थी। महिलाओं से पूछा गया कि कौन अध्यक्ष बनना चाहती हैं। अध्यक्ष के काम को समझा दिया गया। वह अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने को राजी हुई। समिति की उपाध्यक्ष पूनम देवी, संरक्षक वीणा तिग्गा व जूली उनके एक इशारे पर दारू संचालकों पर टूट पड़ती थीं लेकिन अब टूटने-लूटने की जरूरत नहीं पड़ रही। दारू की भट्ठियां धीरे-धीरे लापता हो रही हैं। गाड़ी होटवार में नशामुक्ति अभियान समिति की अध्यक्ष शकुंतला देवी हैं। उनके अनुभव भी कुछ ऐसे ही हैं। ऐसी कई देवियां इस आंदोलन का अहम हिस्सा हैं।

रांची में नशामुक्ति अभियान जन-जन का अभियान बनते जा रहा है। तीन महीने में यह तेजी से आगे बढ़ा है। इसे और धारदार बनाने के लिए गत 11 दिसंबर से मोहल्लों में बैठकें हो रही हैं। इसके माध्यम से जनता को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही शराब नहीं बेचने व नहीं पीने की शपथ दिलाई जा रही है। केंद्रीय नशामुक्ति अभियान समिति के संरक्षक अशोक खलखो ने बताया कि अब तक 15 से 20 ड्राम शराब को बर्बाद किया गया। हड़िया के 250 बर्तन को नष्ट किया गया। वहीं तीस से चाली बोरा शराब के पाऊच को बर्बाद किया गया है।

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ऐसे हुआ समिति का उदय :

केंद्रीय नशामुक्ति अभियान समिति का उदय उन ठोकरों से हुआ जो महिलाओं के जीवन में नियमित तौर पर आ रही थीं। महिलाओं का कहना था कि समाज में ऐसे कई मामले हैं जिसमें नवविवाहिता पति के नशे की लत के कारण असमय विधवा हो जा रही हैं। शादी के कुछ ही साल बाद। ऐसी महिलाओं की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए इस आंदोलन को खड़ा किया गया। बस्ती के पढ़े-लिखे पुरुषों ने महिलाओं का समर्थन करते हुए समिति का गठन किया। इस समिति के बैनर तले सदस्य गांव-गांव में बैठक कर अभियान के खिलाफ समर्थन जुटा रहे हैं। और समर्थन भी मिल रहा है।

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अभियान की दिशा में समिति की कार्रवाई :

-- बस्तियों में बैठक कर मोहल्ला स्तर पर कमेटी बनाई जा रही है।

-- इस कमेटी की अध्यक्ष महिला होती हैं।

-- जिस मोहल्ला में बैठक होती है वहां के लोग अभियान का समर्थन करते हैं।

-- मोहल्लों में गत 11 दिसंबर से बैठक जारी है। अब तक नौ मोहल्लों में बैठकें हो चुकी हैं।

-- बैठक के दौरान मोहल्ले के लोगों को शपथ दिलाई जाती है।

-- शराब बेचने व खरीदने बालों को चेताया जाता है कि शराब बेचते पकड़े जाने पर 11 हजार जुर्माना और खरीदने पकड़े जाने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा।

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अभियान में शामिल बस्ती :

बड़गाई, खिजुर टोली, लेम बस्ती, किशुनपुर, बांधगाड़ी, महुआ टोला, टंगरा टोली, बूटी बस्ती, गाड़ी होटवार, पाहन टोली, बाकेन टोली, खटंगा, डेला टोली, टाई टोली, आदिवासी टोला, कोकर अखड़ा, तिरिल बस्ती व मोहर्रम टोला आदि।

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यहां हो चुकी है बैठक

11/12 - बड़गाई

12/12 - लेम बस्ती

13/12 - बांधगाड़ी

14/12 - खिजुर टोली

15/12 - किशुनपुर

16/12 - मोहर्रम टोला

17/12 - गाड़ी होटवार

18/12 - टंगरा टोली

19/12 - खटंगा टोली

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यहां होनी है बैठक

21/12 - महुआ टोली

22/12 - कोकर अखड़ा

23/12 - तिरिल बस्ती

24/12 - ढेला टोली

25/12 - टाई टोली

26/12 - आदिवासी टोला

27/12 - नया टोला

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उद्देश्य :

-- नशामुक्ति अभियान को तेज करना है।

-- स्लम बस्तियों को शराबमुक्त बनाना है।

-- युवाओं को नशा के गिरफ्त से बचाना है।

-- नशाखोरों के परिवार को उजड़ने व बर्बाद होने से बचाना है।

-- मोहल्लों में दलालों के अड्डे को समाप्त करना है।

-- एक प्रतिष्ठित परिवार के सपने को पूरा करना है।

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