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नहीं भुला सकते साहित्यिक संस्थाओं का योगदान : डा.जनार्दन

बलिया : रचनाकार की रचनाधर्मिता से ही समाज स्पंदित होता है। यह बातें वरिष्ठ साहित्यकार डा.जनार्दन राय

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 06:43 PM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 06:43 PM (IST)
नहीं भुला सकते साहित्यिक संस्थाओं का योगदान : डा.जनार्दन

बलिया : रचनाकार की रचनाधर्मिता से ही समाज स्पंदित होता है। यह बातें वरिष्ठ साहित्यकार डा.जनार्दन राय ने कही। वह शनिवार को साहित्य चेतना समाज की बलिया इकाई द्वारा नगर के आर्य समाज रोड स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर में आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि साहित्यिक संस्थाओं ने समाज को बहुत कुछ दिया है। उनके अमूल्य योगदान को कतई भुलाया नहीं जा सकता। मुख्य अतिथि प्रो.केपी श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य ही समाज को बांधे रखता है। साहित्य सदा समाजोन्मुखी रहा है। हिंदी संस्थान द्वारा राहुल सांकृत्यायन सम्मान से नवाजे गए भोला प्रसाद आग्नेय को इस मौके पर सम्मानित किया गया। श्री आग्नेय ने कहा कि उदीयमान साहित्यकारों व कवियों को चाहिए कि इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाएं। संस्था के संस्थापक व विशिष्ट अतिथि अमरनाथ तिवारी (गाजीपुर) ने संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। गोष्ठी में शिवजी पांडेय 'रसराज', शशि प्रेम देव, शंकर शरण, श्रीराम प्रसाद 'सरगम', हाफिज 'मस्तान', अशोक तिवारी, राधिका तिवारी आदि ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएं प्रस्तुत कीं। संचालन संस्था के संयोजक नवचंद्र तिवारी ने किया। इस मौके पर संस्था के सचिव हीरा राम गुप्त, डॉ.हैदर अली खां, सुदेश्वर अनाम भी मौजूद थे। आभार छोटे लाल वर्मा 'मलाल' ने किया।


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