प्रशासन की लापरवाही से अभियान ने तोड़ा दम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत अभियान कुल्टी में दम तोड़ता नजर आता है। दरअसल यह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत अभियान कुल्टी में दम तोड़ता नजर आता है। दरअसल यहां साफ- सफाई के प्रति प्रशासन कभी गंभीर ही नहीं हो सका। नगरपालिका इलाका को स्वच्छ व सुंदर रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत वर्षो पूर्व उपलब्ध कराए गए करोड़ों रुपये की सामग्री आज जंग खाकर खुद ही कचरा बन गयी है। जिसमें हाईड्रोलिक ऑटो, बाल्टी, ट्रे, तिपहिया ठेला आदि शामिल है। जबकि कुल्टी नगरपालिका के विभिन्न वार्डो में जहां-तहां जमा कचरा का ढेर व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है। प्लास्टिक कचरा से जाम हुई नालियों का पानी सड़क पर बहता है। मामूली प्रयास से उक्त सामग्रियों को उपयोग में लाकर शहर को कचरा मुक्त बनाया जा सकता था। लेकिन पिछले पांच वर्षो में तत्कालीन बोर्ड प्रबंधन व पार्षदों ने सिर्फ एक- दूसरे पर दोष मढ़कर पल्ला झाड़ लिया और कचरा सफाई को आए करोड़ों के उपकरण खुद ही कचरा बन गए।
बताया जाता है कि वाममोर्चा नेतृत्व वाले बोर्ड में मधुरकांत शर्मा के चेयरमैन रहते केंद्र से सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आए कोष से हजारों की संख्या में बाल्टियां खरीदी गयी। ताकि प्रत्येक घर में कचरा इकट्ठा करने के लिए बाल्टी दी जा सके। इसके अलावा सैकड़ों ट्रे, गली- मुहल्लों से कचरा लाने के लिए करीब 70 तिपहिया ठेला और बेशकीमती 35 हाइड्रोलिक ऑटो खरीदा गया। ताकि 35 वार्ड वाले कुल्टी नपा के प्रत्येक वार्ड में एक- एक- एक आटो और दो- दो ठेला के माध्यम से कचरा संग्रह किया जाए। वर्ष 2009 में तृकां- कांग्रेस व निर्दलीय गठबंधन का बोर्ड आया। नए बोर्ड ने शहर को कचरा मुक्त रखने का संकल्प लेते हुए सभी वार्ड पार्षदों को ऑटो, बाल्टी, ठेला आदि बांट दिया। लेकिन झमेला यहीं से शुरु हुआ। पार्षदों का कहना है कि ऑटो व ठेला तो मिला लेकिन चालक व मजदूर कहां से आएंगे। उनका वेतन कौन देगा। ऑटो के लिए तेल व मरम्मत का पैसा कहां से आएगा। मुद्दे पर म्यूनिसिपल की ओर से कोई सटीक जवाब नहीं दिए जाने का परिणाम रहा कि पार्षदों को दी गयी नयी चमचमाती हाइड्रोलिक ऑटो व ठेला रखरखाव के अभाव में बिना उपयोग के ही सड़ने लगे। इस संबंध में पूछे जाने पर कुल्टी नगरपालिका के तत्कालीन बोर्ड के उपचेयरमैन रहे बच्चू राय का कहना है कि केंद्र सरकार के दिशा निर्देश पर भले ही उक्त सामग्री मंगायी गयी। लेकिन उस समय नपा बोर्ड ने खरीदारी के पहले सही से चिंता नहीं की। आटो चालक व उसके साथ दो मजदूर, ऑटो के लिए तेल, मरम्मत का खर्च आदि देना न तो म्यूनिसिपल के लिए संभव था और न ही जनता से मासिक शुल्क ही वसूलना संभव था। जिसका परिणाम रहा कि करोड़ों की सामग्री बेकार हो गयी।
केंद्रीय योजनाओं का बंटाधार : माकपा के पूर्व पार्षद देवानंद प्रसाद ने कहा कि पिछले बोर्ड के कार्यकाल में कुल्टी नपा में सभी केंद्रीय योजनाओं का बंटाधार हो गया। 133 करोड़ की जल परियोजना भी परवान नहीं चढ़ सका। बीएसयूपी मकान बनाने की योजना भी नपा की लापरवाही से परवान नहीं चढ़ सकी।