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हिंदी और उर्दू मजहब की नहीं, राष्ट्र की भाषाएं

By Edited By: Published: Sun, 16 Mar 2014 07:30 PM (IST)Updated: Mon, 17 Mar 2014 04:31 AM (IST)
हिंदी और उर्दू मजहब की नहीं, राष्ट्र की भाषाएं

मैनपुरी: हिंदी और उर्दू किसी मजहब की नहीं, राष्ट्र की भाषाएं हैं। जो हमें आपस में मिलजुल कर रहना सिखाती हैं। उर्दू को आम लोगों से जोड़ने के लिए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जो प्रयास किए हैं, उनका सारे देश में स्वागत होना चाहिए।

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उक्त विचार प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री आलोक शाक्य ने सपा कार्यालय पर उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सदस्य एएच हाश्मी एडवोकेट के स्वागत के बाद विचार गोष्ठी में व्यक्त किए। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के नवनियुक्त सदस्य एएच हाश्मी ने एक उर्दू के सेर से अपनी बात शुरू करते हुए कहा 'लिपट जाता हूं मां से, मौसी मुस्कराती है। मैं उर्दू में गजल पढ़ता हूं, हिंदी मुस्कराती है।' जिस तरीके से हिंदी और उर्दू एक साथ जुबान पर रहती हैं। इसी तरीके से सभी धर्मो के लोगों को मिलजुल कर मुल्क की मजबूती के लिए काम करना चाहिए।

स्वागत समारोह में सपा जिलाध्यक्ष खुमान सिंह वर्मा, सुखवीर सिंह यादव, चंद्रपाल सिंह यादव, रिजवान करेसी, नसीरुद्दीन वारसी, डॉ. मंजूर, असरार इलाई, मु. उमर सिद्दकी, श्यामबरन शास्त्री, देवेंद्र सिंह यादव, सतेंद्र यादव, अशोक कुमार शास्त्री, हरवीर प्रजापति, खालिद कोसमी, सफी मंसूरी, सुनील यादव, राजू चौधरी आदि मौजूद थे।


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