परवेज के बूते परवाज भरता था यासीन भटकल!
समस्तीपुर, [संजय कुमार उपाध्याय] : रूप व ठिकाना बदलने में माहिर इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल का एक ठिकाना पड़ोसी देश नेपाल का बोधवा (पोखरा के पास) गांव भी रहा है। यहां परवेज नामक एक व्यक्ति भटकल को सुरक्षा देता था। करीब ढाई से तीन हजार लोगों की जनसंख्या वाली इस बस्ती में आतंकी को कतिपय अन्य लोगों का पूरा समर्थन प्राप्त था। यासीन यहां पिछले कुछ महीनों से नियमित तौर पर आता जाता था। युवाओं को तकरीर देता था। उन्हें वह किस तरह की जानकारी देता था, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई अबतक की पड़ताल में जो बातें सामने आईं हैं, उसके अनुसार वह बोधवा से अपनी गतिविधियों को सीमांचल सहित पूरे उत्तर बिहार में फैलाता था। यहां उससे कई लोग मिलने भी आते थे। सुरक्षा एजेंसियों ने जब उसकी गिरफ्तारी को जाल बिछाया तो पता चला कि वह वीरगंज के एक होटल में भारतीय क्षेत्र में विध्वंसात्मक कार्रवाई की तैयारी को बैठक कर रहा है। इलाके की भौगोलिक बनावट से वाकिफ सुरक्षा एजेंसी के जानकार अधिकारी वहां पहुंचे और आतंकी के पीछे लग गए। देखते-देखते यासीन इण्डो-नेपाल बॉर्डर पर पकड़ा गया। इस बीच छापेमारी टीम ने परवेज को भी दबोचने की कोशिश की। परंतु, परवेज भाग निकलने में कामयाब रहा। जिसे पकड़ने के लिए लगातार कार्रवाई चल रही है। एनआइए के अधिकारी लगातार सीमांचल व उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में गोपनीय तौर पर कार्रवाई कर रहे हैं। इस दौरान भटकल से जुड़ी हर कड़ी को देखा जा रहा है। कोशिश यह हो रही है कि परवेज के अलावा यासीन के अन्य साथी भी समय रहते गिरफ्त में आ जाएं।
पांचों वक्त का नमाजी बन घुसा था ससुर इरशाद के घर में : आतंकी की गिरफ्तारी के बाद उसके ससुर इरशाद खान के पैतृक गांव समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड के मोतीपुर गांव में हर दिन नई चर्चाएं और नई बातें सामने आ रहीं हैं। इरशाद के करीबी लोगों से जो नई जानकारी मिली है वह यह कि इरशाद स्वयं पांचों वक्त का नमाजी है। उसके दामाद के बारे में जो जानकारी उस वक्त गांव आई थी, वह यह कि जब यासीन मिला तो उसने खुद को लखनऊ का इमरान बताया था और पांचों वक्त नमाज पढ़ता था। परंतु, अब जो हकीकत सामने आई है उससे एक बात साफ हो गई है कि इरशाद ने बेटी का दामन गलत हाथों में सौंपा था।
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