सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला, प्रदर्शन किया
जागरण संवाद केंद्र, यमुनानगर : किसानों ने सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। सोमवार को सैकड़ों किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला और प्रदर्शन किया। सरकार से अपने शरीर के अंग बेचने की आज्ञा मांगते हुए किसानों ने एसडीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी भेजा। 60 किसानों ने तो लिखित में अंग बेचने की पेशकश तक कर डाली।
नई अनाज मंडी जगाधरी में किसानों की पंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि बड़ी विडंबना की बात है कि जो धरती पुत्र किसान देश का पेट पाल रहा है, वह अपने परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ व बेबस है। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण वह परिवार का गुजारा नहीं चला पता और जीने से मरना अच्छा समझता है। यही वजह है कि हर साल 20 हजार किसान आत्महत्या करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसान को कम से कम इतनी आमदन तो उपलब्ध करवा दे जिससे उसका गुजारा हो सके।
भाकियू प्रदेशाध्यक्ष चढूनी ने कहा कि कहने को तो किसान जमीन का मालिक है, वास्तव में उसके जीवन के हालात बिना जमीन वालों से भी बदतर है। किसानों के आत्महत्या करने व कर्ज में फंसने का कारण लाभकारी मूल्य न मिलना है। उन्होंने कहा कि 2012-13 में गेहूं का लागत मूल्य 1613 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि किसानों को सरकारी भाव 1350 रुपये मिला, जिस पर किसानों को 263 रुपये प्रति क्विंटल नुकसान हुआ। इसी तरह धान की फसल पर 447 रुपये प्रति क्विंटल, बाजरे की फसल पर 65 रुपये प्रति क्विंटल व मक्की की फसल पर 344 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हुआ। इसी तरह अन्य फसलों में भी किसानों को घाटा है।
उन्होंने कहा कि आंकडे़ स्पष्ट दर्शाते हैं कि किसान किस हालात से गुजर रहे हैं और साहूकारों व बैंकों का कर्जा किसानों की दिन रात की नींद उड़ाए हुए है। बैंकों द्वारा रोजाना किसानों की जमीन के नोटिस लगाए जा रहे हैं व कई जगहों पर धारा 138 के तहत चैकों के केस कोर्ट में लगाए जा रहे हैं। बैंकों ने किसानों से धोखे से चैक ले रखे हैं व बैंक किसानों को कोर्ट केसों में फंसा कर जेलों में डलवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को जलील कर रही है, लेकिन किसान स्वाभिमान से जीना चाहते हैं और वह अपने पुरखों की जमीन को नहीं बेचेंगे।
भाकियू ने अनाज मंडी में आयोजित पंचायत में फैसला लिया कि किसानों को अपनी जमीन को बचाने व आत्महत्या से बचने के लिए कोई चारा नहीं है, इसलिए वह अपने शरीर के अंग बेचकर सरकार का कर्जा उतारेंगे और परिवार का गुजारा चलाएंगे। भाकियू ने सरकार से मांग की कि किसानों को लाभकारी मूल्य दिया जाए व अब तक का पूरा कर्जा माफ किया जाए। किसानों ने सरकार से अपने शरीर के अंग बेचने की भी इजाजत मांगी है।
इस अवसर पर किसान नेता बाबूराम, संजू गुंदयाना, विजय मेहता, पिंकी, बलकार सिंह, मेहर सिंह, संदीप, हरपाल सिंह, संदीप सुढल, अनिल मंडेबर, कश्मीरी लाल, गुरमुख सिंह, सुखदेव आदि उपस्थित थे।
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अनुशासन का दिया परिचय
कर्ज के भार से पीड़ित होने के बावजूद किसान अपनी मर्यादा को नहीं लांघ रहे हैं। सोमवार को अनाज मंडी में पंचायत करने के बाद उन्होंने अनुशासन का परिचय दिया। जब वह अनाज मंडी से जुलूस के रूप में लघु सचिवालय गए तो वहां वह लाइनें बनाकर पहुंचे, ताकि रास्ते में आने जाने वाले लोगों को कोई असुविधा न हो। किसान अनाज मंडी से लघु सचिवालय तक सरकार विरोधी नारे लगाते हुए पहुंचे।
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