बाटम--आधार कार्ड का वास्तविक आधार खिसका
जागरण विशेष
-पूरे एनसीआर क्षेत्र में खुलकर खेला जा रहा अव्यवस्था का खेल
-तीन सौ से लेकर तीन हजार रुपये तक में इसे बनाया जा रहा
मुख्य संवाददाता, गुड़गांव
जिस आधार कार्ड के सहारे सरकार लोगों को उनकी पहचान और सुविधाएं देने की बात कह रही है उस कार्ड का वास्तविक आधार ही खिसक रहा है। तीन सौ से लेकर तीन हजार रुपये तक में बिना किसी दस्तावेज के भी यह आधार कार्ड आसानी से बनाए जा रहे हैं। जिन लोगों से दस्तावेज लिए भी जा रहे हैं तो उन्हें निर्धारित स्थानों पर पहुंचाए जाने के बजाय कूड़े के ढेर की तरह जहां तहां पटक दिया है, जिससे इनके दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है। वैसे, इससे जुड़े लोग दबी जुबान से स्वीकारते हैं कि आधार के नाम पर यह खेल अकेले गुड़गांव में ही नहीं, अपितु पूरे एनसीआर क्षेत्र में खुलकर खेला जा रहा है।
यहां बता दें कि सरकार ने आधार कार्ड बनाने के लिए दो एजेंसियों को अधिकृत किया है, जिन्हें एक कार्ड के लिए 96 रुपये का भुगतान सरकार की तरफ से किए जाने का प्रावधान है। इन एजेंसियों ने कई स्तर पर सब-एजेंसी तैनात कर दी जिन्हें तीस से लेकर पचास रुपये तक प्रति कार्ड के हिसाब से इन अधिकृत एजेंसियों द्वारा दिए जा रहे हैं। मगर इन सब एजेंसियों को इस राशि से शायद संतोष नहीं है। इनमें से अधिकांश ने आधार को एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बना लिया है। आलम यह है कि जिन इलाकों में रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या अन्य कोई संगठन अपने यहां आधार का कैंप लगवाते हैं उन्हें ही इन सब एजेंसियों के कर्मियों के रहने, खाने पीने यहां तक कि आने जाने का खर्च वहन करना पड़ता है। सरकार की तरफ से आम आदमी के लिए इस कार्ड का प्रावधान निशुल्क है, लेकिन सब-एजेंसियों में तैनात कर्मियों को यह गंवारा नहीं। इसलिए वह इस कार्ड के लिए सहूलियत के अनुसार तीन सौ रुपये लेकर तीन हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। व्यवस्था यहां तक कि अगर आप आधार केंद्र पर नहीं जा सकते थे तो पूरा सिस्टम आपके घर पहुंच जाएगा, लेकिन उसके लिए अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ेगी। इतना ही नहीं, जिनके पास पहचान का कोई दस्तावेज नहीं है उनके आधार कार्ड भी आसानी से बन रहे हैं और जिन्होंने पहचान पत्र के तौर पर लाइसेंस, पासपोर्ट, वोटर आइ कार्ड या अन्य किसी प्रकार के सरकारी दस्तावेज की फोटो कापी दिए भी हैं तो उनके दस्तावेज जहां आधार के मुख्यालय बंगलूर जाने चाहिए थे वह गुडगांव में ही कई स्थानों पर कूड़े के ढेर की तरह पड़े हैं, जिनके दुरुपयोग होने की पूरी आशंका बनी हुई है।
कह रहे हैं अधिकारी : उपायुक्त पी.सी.मीणा कह रहे हैं कि इस मामले में सीधे भागीदारी तो हमारी नहीं है लेकिन जिम्मेदारी जरूर हमें मिली हुई है। यूआइडी के लोगों के साथ समय -समय पर बैठकें होती हैं। उनके पास जो शिकायतें आती हैं उनकी जांच सरकारी एजेंसी ही करती है और यूआइडी वाले ऐसे आपरेटर और एजेंसी को ब्लैकलिस्ट भी करते हैं। हमारी और यूआइडी वालों की पूरी कोशिश रहती है कि किसी भी प्रकार से लोगों को कोई दिक्कत न होने पाए। अगर कोई शिकायत आती है तो उसका समाधान करने की कोशिश की जाती है।
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