मेरे घर में तेरा घरौंदा!
कार्यालय संवाददाता, अलीगढ़ : बचपन में घर आई चिड़िया को दाना देने की आदत ने आर्किटेक मनीष कुमार सहाय को पक्षियों का प्रेमी बना दिया है। छात्र जीवन से ही पक्षियों के संरक्षण में जुटे मनीष ने शिकारियों की गिरफ्त में फंसे 100 से ज्यादा पक्षियों को बचाया। आर्किटेक्ट बने तो घरों की डिजाइन में 'बर्ड फीडर' और 'बर्ड हाउस' का कांसेप्ट लाए। ये सोचकर कि पक्षियों का आश्रय साथ होगा, तभी पुराने दिन लौटेंगे।
बात छोटी, सीख बड़ी
गांधीपार्क निवासी मनीष कुमार सहाय को बचपन से ही पक्षियों के बारे में जानने का शौक रहा है। ये लगाव पिताजी ने दिया। पिता घर के आंगन में फुदकती गौरैया को दाने चुगाया करते थे। पिताजी कहीं पिंजड़े में तोता या कोई और पक्षी देखते तो आजाद कर देते। यही बातें बड़ी सीख दे गईं।
बनाई टीम
मनीष 1989 में 12वीं के छात्र थे। तब, शेखा झील में जुटे देसी-विदेशी पक्षियों का खूब शिकार होता था। ये बात चर्चा में आई तो मनीष ने दोस्तों के साथ टीम बनाई। जो शिकार करते मिलता, ये टीम उससे भिड़ जाती। कई बार शिकारियों ने पलटवार की कोशिश की, लेकिन सफल न हुए। इस टीम ने 100 से ज्यादा पक्षियों की जान बचाई। छात्रों की टोली ने चंदा करके स्पोर्ट्स स्टेडियम व चिरंजीलाल इंटर कालेज में पौधे भी लगवाए।
घर हो न्यारा
मनीष आर्किटेक बने तो पक्षियों से लगाव बरकरार रहा। घरों का नक्शा बनाते वक्त लोगों के साथ पक्षियों का बसेरा भी बनाना शुरू कर दिया। शुरू में लोग बहुत झिझके। लगा कि सुंदर घर में पक्षी? पर, जब मनीष ने घरों में घोंसले और झरोके की डिजाइन बनाई तो लोगों को पसंद आने लगी।
बांटे चिड़ियों के घर
पक्षियों के लिए मनीष लकड़ी का घर भी बनाते हैं। वे कहते हैं, मकान के निर्माण में काफी लकड़ी नष्ट होती है। इनसे कई 'बर्ड हाउस' बन सकते हैं। नया मकान बनवाते वक्त उसी खर्चे में दर्जनभर बर्ड-हाउस बन सकते हैं।
फोटो शूट
मनीष को पक्षियों के प्रेम ने घुमक्कड़ी और फोटो-प्रेमी भी बना डाला है। वे देश के कई हिस्सों में गए। उत्तराखंड का तो हर क्षेत्र घूमा हुआ है। इस दौरान तमाम दुर्लभ पक्षियों को कैमरे में 'कैद' किया। वे कान्हा नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश) में कैनन वाइल्ड क्लिक सीजन-3 और एएमयू में शानदार फोटोग्राफी के लिए सम्मान भी पा चुके हैं।
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