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(मिर्जा-1)जनपद को जल्द मिलेगा पहला मेडिकल कालेज

By Edited By: Published: Sun, 03 Mar 2013 08:02 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2013 08:03 PM (IST)

उन्नाव, जागरण प्रतिनिधि: सब कुछ ठीक रहा तो जिले को निजी क्षेत्र का एक मेडिकल कालेज जल्द मिलेगा। यह मिर्जा फाउंडेशन द्वारा संचालित आजाद मल्टी स्पेशियिलिटी हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर को अपग्रेड करके बनाए जाने की योजना है। मिर्जा इंटरनेशनल के मालिक इरशाद मिर्जा की इस योजना पर मदद करने के लिए कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने हामी भरी है। रिसर्च सेंटर में आयोजित नेत्र शिविर में उन्होंने कहा कि हास्पीटल के पास पैसे की कमी नहीं है, औपचारिकता पूरा करने में सहयोग करेंगे।

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मिर्जा फाउंडेशन व गॉड सर्विस ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस शिविर में डॉ. महमूद रहमानी और मिर्जा फाउंडेशन का यह प्रयास निश्चित तौर स्वास्थ सेवाओं के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।

मिर्जा इंटरनेशनल के सीएमडी पद्मश्री इरशाद मिर्जा के मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल को मेडिकल कालेज बनाने के स्वपने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह तो उनके (श्री मिर्जा) लिए बाएं हाथ का खेल है। इसके लिए उन्हें किसी से पैसे की भी जरूरत नहीं है। थोड़ी-बहुत औपचारिकता पूरी करनी होती है। उसमें जो भी मदद होगी वह मैं करुंगा। मिर्जा इंटरनेशनल के निदेशक एमके उपाध्याय, रोटरी क्लब कानपुर के अध्यक्ष राकेश टंडन, आरजी बांग्ला, बीके श्रिया व अब्दुल मन्नान उपस्थित थे।

मंत्री बुलाने से उदेश्य पूरा नहीं होता

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो शख्स समाज के लिए कुछ करे उसी को इस नेक काम के शुभारंभ और समापन का अधिकार है। मंत्री को बुलाकर कार्यक्रम की सज्जा तो की जा सकती है, लेकिन उससे कार्यक्रम का उद्देश्य पूरा नहीं होता।

उन्नाव सिर्फ अपराध में आगे

जनपद की नियमित सुविधाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह जिले का दुर्भाग्य है कि इसको अपराधों के लिए जाना जाता है। यहां एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है। जहां पर मरीजों को पूरी तरह से इलाज मिलता हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कानपुर का गौरव दिल्ली और लखनऊ ने छीना है। ठीक उसी तरह से उन्नाव भी कानपुर और लखनऊ के बीच पिसकर रह गया है। मौजूदा समय में तो यह कानपुर का एक उपनगर बनकर रह गया है।

मेरे रहते लेदर इंडस्ट्री को कुछ नहीं होगा

लेदर इंडस्ट्री पर छाये संकट के बादल के संबंध में श्रीप्रकाश ने कहा कि जब तक मैं सत्ता में हूं। तब तक इस इंडस्ट्री को कुछ नहीं हो सकता है। यह इंडस्ट्री उन्नाव के हजारों लोगों के साथ कानपुर के भी लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती है।

1994 में शुरू हुआ था सफर

डॉ. महमूद रहमानी ने कहा कि नेत्र शिविर की शुरुआत 1994 में मसवासी गांव से हुई थी। वहां कौमी एकता इंटर कालेज के चार कमरों में हम लोगों ने पहला कैंप आयोजित किया था। आज यह 43वां नेत्र शिविर है। इसमें 151 आपरेशन किये गये है। मरीजों के लिए खान-पान के साथ ही दवाओं का वितरण भी मुफ्त किया गया।

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