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और तेज होगी मुस्लिम मतों की जंग

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों के लिए कांग्रेस और सपा में शुरू जंग मतदान के अगले तीन चरणों में और तेज होगी। अब तक चार चरणों के मतदान और उसमें मुस्लिम मतदाताओं के रुझान ने दोनों दलों को चौकन्ना कर दिया है। लिहाजा दोनों की नजरें अगले चरणों की लगभग पांच दर्जन उन सीटों पर टिक गई हैं, जिन पर हार-जीत का फैसला 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाताओं के हाथ में है।

By Edited By: Published: Sun, 19 Feb 2012 10:10 PM (IST)Updated: Sun, 19 Feb 2012 10:34 PM (IST)
और तेज होगी मुस्लिम मतों की जंग

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों के लिए कांग्रेस और सपा में शुरू जंग मतदान के अगले तीन चरणों में और तेज होगी। अब तक चार चरणों के मतदान और उसमें मुस्लिम मतदाताओं के रुझान ने दोनों दलों को चौकन्ना कर दिया है। लिहाजा दोनों की नजरें अगले चरणों की लगभग पांच दर्जन उन सीटों पर टिक गई हैं, जिन पर हार-जीत का फैसला 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाताओं के हाथ में है। जबकि, इन्हीं चरणों में 20 से 29 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं वाली ढाई दर्जन सीटों को भी हथियाने की लड़ाई है।

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मुस्लिम मतदाताओं के लिहाज से कांग्रेस और सपा दोनों ही छठे और सातवें चरण के मतदान को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। पांचवें चरण में फिरोजाबाद और एटा की पटियाली सीट के अलावा कानपुर की कल्यानपुर, सीसामऊ, आर्यनगर और कानपुर कैंट सीट पर भी दोनों के लिए इसी तरह की चुनौती है। उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ के बाद मुस्लिम आबादी कानपुर में ही सबसे ज्यादा है। कानपुर की इन सीटों पर औसतन 20 से 29 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता हैं। जबकि, छठे चरण की 68 सीटों में से 25 और सातवें चरण की 60 सीटों में 31 सीटें ऐसी हैं, जिन पर 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। इसी तरह इन दोनों चरणों की 30 सीटों पर भी किसी को हराने-जिताने में मुस्लिम मतदाता ही बड़ी भूमिका निभाते हैं, जिनकी संख्या 20 से 29 प्रतिशत तक है।

समाजवादी पार्टी के सूत्र भी मानते हैं कि पहले चरण में सिद्धार्थनगर, बस्ती, बहराइच के बाद तीसरे चरण में इलाहाबाद तक में मुस्लिम मतों के बंटवारे का रुझान सामने आया है। पार्टी उसे लेकर सावधान है। हर माध्यम से मतदाताओं को कांग्रेस की असलियत बताने का सिलसिला जारी है। दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना बुखारी सपा के समर्थन की अपील कर चुके हैं। चौथे चरण के मतदान के एक दिन पहले ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मौलाना राबे हसन नदवी से लखनऊ में मुलाकात कर मुस्लिम मतदाताओं के बीच सपा का संदेश देने की कोशिश कर चुके हैं। आगे जो जरूरी होगा और किया जाएगा।

उधर, कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी ने तो पहले चरण का मतदान होने तक ही इस बंटवारे का खतरा भांप लिया था। इसीलिए उसने सपा का नाम लिए बगैर ही सबसे स्पष्ट कर दिया कि चुनाव बाद भी सरकार बनाने के लिए किसी को समर्थन नहीं देगी। इतना ही नहीं, मुस्लिमों के साथ खड़े होने में कोई कमी न रह जाए, उसके लिए उसके दो केंद्रीय मंत्रियों [सलमान खुर्शीद व बेनी प्रसाद वर्मा] प्रदेश में सरकार बनने पर मुस्लिम आरक्षण को और बढ़ाने का एलान कर आयोग के निशाने तक पर आने से नहीं चूके। बताते हैं कि कांग्रेस-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन की वजह से पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बहुत उम्मीद लगाए है। लिहाजा पांचवें ही नहीं, बल्कि छठे व सातवें चरण में भी सभी समुदायों में अपनी बात रखने की उसकी मुहिम और तेज हो सकती है।

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