प्रो कबड्डी लीग: नीलामी में मंजीत चिल्लर से भी महंगे बिके नितिन, अब मिलेगी ये मोटी रकम
प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के पांचवें सत्र के लिए हुई नीलामी में नितिन तोमर सबसे महंगे खिलाड़ी बने। उन्हें 93 लाख रुपये में उत्तर प्रदेश की टीम ने खरीदा।
नई दिल्ली, प्रेट्र : रेडर नितिन तोमर प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के पांचवें सत्र के लिए हुई नीलामी में लीग के सबसे महंगे खिलाड़ी बने। उन्हें 93 लाख रुपये में उत्तर प्रदेश की टीम ने खरीदा। तोमर से पहले इसी नीलामी में रेडर रोहित कुमार सबसे महंगे बिके थे, जिन्हें 81 लाख रुपये में बेंगलुरु बुल्स ने खरीदा। इन दोनों के अलावा स्टार ऑलराउंडर मंजीत छिल्लर और डिफेंडर सुरजीत सिंह भी सबसे महंगे बिकने वाले खिलाड़ियों में शामिल रहे। मंजीत को फिल्म स्टार अभिषेक बच्चन की टीम जयपुर पिंक पैंथर्स ने 75.50 लाख रुपये में और सुरजीत को बंगाल वॉरियर्स ने 73 लाख रुपये में खरीदा। इस लीग का पांचवां सत्र 25 जून से शुरू हो रहा है।
इसके अलावा राजेश नरवाल को 69 लाख, संदीप नरवाल को 66 लाख, कुलदीप सिंह को 51.50 लाख, रविंदर पहल को 50 लाख और 42 वर्षीय धर्मराज चेरालाथन को 46 लाख रुपये की भारी भरकम कीमत मिली। स्टार डिफेंडर मोहित छिल्लर को 46.5 लाख में हरियाणा ने खरीदा। बंगाल वॉरियर्स ने रण सिंह को 47.5 लाख रुपये में खरीदा। दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी जान-कुन ली को नीलामी में शामिल नहीं किया गया और बंगाल वॉरियर्स ने उन्हें 80.3 लाख रुपये में टीम में बरकरार रखा है। उत्तर प्रदेश ने राजेश नरवाल को 69 लाख रुपये में खरीदा है।
जयपुर पिंक पैंथर्स ने नरवाल को अपनी टीम में बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन नई फ्रेंचाइजी उत्तर प्रदेश ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया। दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की फ्रेंचाइजी ने अनिल कुमार को 21.5 लाख रुपये में खरीदा। वहीं, फ्रेंचाइजियों की पहले राउंड में ईरानी खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने की होड़ मची हुई थी। इसमें सबसे ज्यादा कीमत में अबोजार मोहजर्मिघानी बिके जिसे गुजरात ने 50 लाख रुपये में खरीदा।
इस बार टीमों को आठ से बढ़ाकर 12 कर दिया गया है और चार नई टीमों में तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा को लीग में शामिल किया गया है। खिलाड़ियों की नीलामी में हर टीम के लिए चार करोड़ रुपये का सैलरी पर्स रखा गया था। हर टीम को 18 से 25 खिलाड़ियों को चुनना था जिसमें विदेशी खिलाड़ियों की संख्या दो से चार थी। हर टीम को कम से कम दो विदेशी खिलाड़ी रखने थे।
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