ठुकरा दिया था 'पंडित जी' का ऑफर: मिल्खा सिंह
'उड़न सिख' मिल्खा सिंह ने देश में एथलेटिक्स की खराब हालत के लिए खेल संघों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि खिलाड़ियों में जुनून की कमी है। उन्होंने कहा कि अब खिलाड़ी शोहरत के लिए इस क्षेत्र में आ रहे हैं। मिल्खा सिंह ने मंगलवार को यहां एक अस्पताल में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक का श
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 'उड़न सिख' मिल्खा सिंह ने देश में एथलेटिक्स की खराब हालत के लिए खेल संघों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि खिलाड़ियों में जुनून की कमी है। उन्होंने कहा कि अब खिलाड़ी शोहरत के लिए इस क्षेत्र में आ रहे हैं।
मिल्खा सिंह ने मंगलवार को यहां एक अस्पताल में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक का शुभारंभ करने के बाद 1958 राष्ट्रमंडल खेलों को याद करते हुए कहा कि तब मैंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जी का ऑफर ठुकरा दिया था।
उन्होंने कहा, 'जीत के लिए जुनून जरूरी है। 1956 मेलबर्न ओलंपिक में हारने के बाद मैंने कसम खाई थी कि मैं विश्व रिकॉर्ड तोड़े बिना चैन से नहीं बैठूंगा। उसके बाद 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में मैंने स्वर्ण पदक जीता। इंग्लैंड की महारानी जब स्वर्ण पदक दे रही थीं, तब तिरंगा लहरा रहा था और राष्ट्रगान बज रहा था।
लंदन में भारत की तत्कालीन उच्चायुक्त विजय लक्ष्मी पंडित ने स्टेडियम के अंदर आकर मुझे गले लगाया और कहा कि पंडित जी ने संदेश भेज कर पूछा है कि आपको क्या चाहिए? उस समय जमीन, जायदाद जो भी मांगता मुझे मिलता पर मैंने ऐसा नहीं किया।'
महान एथलीट मिल्खा सिंह ने कहा कि एथलेटिक्स में तभी पदक मिल पाएगा, जब एथलीटों में जीत का जुनून हो, कोच समर्पित हों और खेल संघ अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाएं। खेल संघों में बैठे राजनीतिक लोग खिलाड़ियों को आगे नहीं आने देना चाहते।
उन्होंने कहा, 'हॉकी संघ में परगट सिंह आना चाहते थे, लेकिन उन्हें एक बुजुर्ग महिला से हार का सामना करना पड़ा था। पहले खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिलती थी। आज सुविधाओं के बावजूद पदक नहीं आ रहे हैं।'
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