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मेसी भी आखिरकार इंसान हैं

हिग्वेन, पालासिओ और यहां तक कि मेसी भी नहीं कर सके। 22 वर्षीय युवा जर्मन स्थानापन्न खिलाड़ी ने वही किया जो 2010 में स्पेन की तरफ से 116वें मिनट में आंद्रिया इनिएस्ता ने किया था। ब्राजील पर 7-1 की जीत के बाद जर्मन टीम टूर्नामेंट की सबसे मजबूत और अच्छी टीम नजर आ रही थी। लेकिन फाइनल में उनका वर्चस्व नहीं दिखा।

By Edited By: Published: Tue, 15 Jul 2014 10:08 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jul 2014 10:24 AM (IST)
मेसी भी आखिरकार इंसान हैं

[रॉल गोंजालेज] हिग्वेन, पालासिओ और यहां तक कि मेसी भी नहीं कर सके। 22 वर्षीय युवा जर्मन स्थानापन्न खिलाड़ी ने वही किया जो 2010 में स्पेन की तरफ से 116वें मिनट में आंद्रिया इनिएस्ता ने किया था। ब्राजील पर 7-1 की जीत के बाद जर्मन टीम टूर्नामेंट की सबसे मजबूत और अच्छी टीम नजर आ रही थी। लेकिन फाइनल में उनका वर्चस्व नहीं दिखा। लेकिन एक सच यह भी है कि फुटबॉल में विजेता का फैसला गोलों की संख्या से किया जाता है। गोएत्जे ने एक गोल किया, अर्जेटीना ने गोल करने के तीन मौके गंवाए और जर्मनी दक्षिण अमेरिका में खिताब जीतने वाली यूरोप की पहली टीम बन गई।

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अर्जेटीना को फाइनल में खास प्रदर्शन की जरूरत थी। उन्होंने बिना किसी खास प्रदर्शन के तीनों नॉकआउट मैच जीते थे। अटैक में कुछ बेहतरीन लम्हे और मासकेरानो की अगुआई में अनुशासित डिफेंस उनके खेल का मुख्य आकर्षण रहा। सेमीफाइनल में उन्होंने धैर्य बनाए रखा और इसका उन्हें फल मिला। दूसरी तरफ जर्मनी ने सेमीफाइनल में जोरदार खेल दिखाकर माराकाना में फेवरेट को लेकर कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी।

हालांकि फाइनल में अर्जेटीनी टीम ने ज्यादा अच्छे मौके बनाए। वहीं यूरो 2008 के फाइनल और 2010 विश्व कप के सेमीफाइनल में स्पेन से मिली हार से सबक लेकर जर्मन टीम गेंद पर कब्जा जमाए रखने को लेकर ज्यादा सजग दिखी। इसका असर यह हुआ कि फाइनल का पहला हाफ खत्म होने तक उन्होंने 65 प्रतिशत गेंद को अपने कब्जे में रखा। लेकिन अटैक में अर्जेटीनी टीम ज्यादा खतरनाक नजर आई। पहले हाफ में हिग्वेन के गोल को ऑफ साइड करार दिया गया। रेफरी का यह फैसला एकदम सही था। एक स्ट्राइकर होने के नाते, मैं समझता हूं कि उन्हें अपनी दौड़ की टाइमिंग सही करनी होगी।

दूसरे हाफ में एक बार फिर अर्जेटीना के पास सुनहरा मौका था। मेसी और नॉयर के बीच कोई नहीं था, लेकिन एक बार फिर नॉयर को कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ी। मेसी ने खुद ही गेंद गोलपोस्ट के बाहर मार दी। आमतौर पर आप मेसी से ऐसे शॉट की आशा नहीं करते, लेकिन उनका फेल होना यह बताता है कि वह भी आखिरकार एक इंसान ही हैं।

जर्मन टीम मैच में लगातार हमले नहीं कर सकी, लेकिन वे जब भी पेनाल्टी एरिया में पहुंचे खतरनाक नजर आए और गोएत्जे द्वारा किया गया गोल किसी भी स्ट्राइकर को गर्व की अनुभूति करा सकता है। जर्मन टीम अपने स्टार मिडफील्डर मार्को रियू के बगैर ब्राजील पहुंची थी और फाइनल में वे खेदिरा के बिना मैदान पर उतरे। विषम परिस्थितियों में अपने आप को संभालने वाली यह जर्मन टीम निश्चित तौर पर पृथ्वी की सबसे बेहतरीन टीम है।

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