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कपड़े सिलकर पढ़ाई करने को मजबूर है ये हॉकी खिलाड़ी

हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। लेकिन इस खेल को अपनी अद्भुत प्रतिभाओं के दम पर आगे बढ़ाने वाले खिलाड़ी उपेक्षित हैं।

By sanjay savernEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 01:59 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 03:30 PM (IST)
कपड़े सिलकर पढ़ाई करने को मजबूर है ये हॉकी खिलाड़ी

महासमुंद (छत्तीसगढ़)। हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। लेकिन इस खेल को अपनी अद्भुत प्रतिभाओं के दम पर आगे बढ़ाने वाले खिलाड़ी उपेक्षित हैं। महासमुंद नगर में दो स्कूल स्टेट, एक विश्वविद्यालय और एक ऑल इंडिया विश्वविद्यालय खेल चुकी हॉकी खिलाड़ी सिलाई कर अपनी पढ़ाई जारी रखी हुई है।

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निर्माण मजदूरी करने वाले मां-बाप के घर जन्मी यमुना देवांगन हॉकी की बेहतरीन खिलाड़ी है। यमुना इन दिनों बीए अंतिम वर्ष की छात्रा है। सिलाई करते हुए पढ़ाई के साथ-साथ घर खर्च में मदद कर रही यमुना आगे बीपीएड करना चाहती है। बीपीएड कर हॉकी में स्पोर्ट्स टीचर बनने का इरादा है। लेकिन यमुना को खेल के नाम पर किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिल रही है।

यमुना ने बताया कि स्कूल में अन्य छात्राओं को हॉकी खेलते देख, खेल के प्रति लगाव बढ़ा और खुद इस खेल से जुड़ गई। आशीबाई गोलछा शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला में पढ़ते हुए यमुना ने वर्ष 2011-12 में दुर्ग में आयोजित शासकीय हॉकी स्टेट स्पर्धा में जिले का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2012-13 में पेड्रा रोड बिलासपुर में आयोजित राज्य स्तरीय शालेय हॉकी स्पर्धा में जिले का प्रतिनिधित्व किया।

स्कूल के बाद कॉलेज पहुंचने पर भी यमुना ने हॉकी को छोड़ा नहीं, बल्कि दिसंबर 2014 में विश्वविद्यालय स्तरीय स्पर्धा में हिस्सा लेकर महासमुंद पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। 24 जनवरी 2015 को जौनपुर बनारस में आयोजित ऑल इंडिया हॉकी टूर्नामेंट में भी यमुना ने विश्वविद्यिालय का प्रतिनिधित्व किया। यमुना का कहना है कि बाधाओं को पार करके आगे बढ़ने में ही मजा है। बड़ी बहन और छोटे भाई को भी यमुना पढ़ाई में मदद करती है।

हॉकी खिलाड़ी का कहना है कि भवन निर्माण या अन्य जगह पर मजदूरी कर परिवार का गुजर बसर करने में मां सरिता और पिता शत्रुहन दोनों एक दूसरे का हाथ बंटाते हैं। साथ ही बेटे-बेटियों को पढ़ाने में पूरी मदद करते हैं।

माता-पिता अपनी इस खिलाड़ी बिटिया को आगे बढ़ने में भी पूरा सहयोग करते हैं, जिसकी वजह से आर्थिक तंगहाली के बाद भी यमुना का खेल और खेल शिक्षक बनने के प्रति लगन कभी कम नहीं हुआ। वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ नियमित अभ्यास में जुटी हुई है। समय बचाकर सिलाई का काम भी पूरा करती है।

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