दिल्ली के अमनप्रीत अहलूवालिया ने फहराया अरुणाचल मोटर रेसिंग में परचम
अमनप्रीत और उनके सह चालक अजय कुमार इस प्रतियोगिता में तीनों दिन बाकी रैली ड्राइवरों पर हावी रहे।
ई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व राष्ट्रीय रैली चैंपियन अमनप्रीत अहलूवालिया अरुणाचल की पहाड़ियों के निर्विवाद विजेता बनकर उभरे हैं। दिल्ली के इस ड्राइवर ने सोमवार को दिरांग घाटी की मनमोहक वादियों में चल रही जेके टायर अरुणाचल फेस्टिवल ऑफ स्पीड प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम कर लिया।
अमनप्रीत और उनके सह चालक अजय कुमार इस प्रतियोगिता में तीनों दिन बाकी रैली ड्राइवरों पर हावी रहे। दोनों ने इस प्रतियोगिता के दस चरणों में से कुल आठ पर कब्जा जमाया, साथ ही दस लाख रुपये इनामी राशि का सबसे बड़ा हिस्सा भी अपने नाम किया।
तीसरे और निर्णायक दिन भी उन्होंने शुरुआती तीनों विशेष चरण आसानी से जीत लिए। हालांकि आखिरी चरण में वह जरूर पिछड़ गए। उन्होंने सारे चरणों को पूरा करने के लिए एक घंटे से थोड़ा ही ज्यादा वक्त लिया, इनमें पहले दिन के सुपर स्पेशल चरण की रेस भी शामिल थी। अमनप्रीत ने पूरे मुकाबले को जीतने के दौरान अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर 27 सेकेंड की बढ़त बनाए रखी थी।
जीत के बाद अमनप्रीत ने कहा, 'इतनी अच्छी कारों वाले दिग्गज ड्राइवरों के साथ मुकाबला करना वाकई गर्व की बात है, लेकिन पहाड़ों पर रेसिंग करने के लिए मैं बाकी ड्राइवरों के मुकाबले बेहतर स्थिति में रहा। मुझे लगता है कि यहां रफ्तार के बजाय तकनीक का इस्तेमाल जरूरी था और मैंने बाकी रेसरों के मुकाबले अच्छी तकनीक अपनाई।'
अमनप्रीत ने कामयाबी का श्रेय अपनी 1300 सीसी की टबरे चार्ज जिप्सी को दिया। जीत के बाद खुशी जताते हुए अमनप्रीत ने बताया कि मैंने इस पर तीन महीने तक काम किया था।
राष्ट्रीय रैली चैंपियनशिप के नियमित ड्राइवर केएम बोपैय्या ने अपनी 1600 सीसी वेंटो के साथ रेस में पूरा जोर लगाया, लेकिन उन्हें दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। वह हर चरण में अमनप्रीत से सिर्फ दो या तीन सेकेंड से ही पिछड़ते रहे। यहां तक कि उन्होंने अंतिम चरण में तो जीत भी हासिल की, लेकिन पिछले दिनों अमनप्रीत ने जो बढ़त बनाई थी, वो आखिरी दौर में निर्णायक साबित हुई और बाकी ड्राइवर उस अंतर को पूरा नहीं कर सके। बोपैय्या ने सारे चरणों को पूरा करने में एक घंटा, 29 सेकेंड का समय लिया।
दिल्ली के संदीप शर्मा ने प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया। उनकी उपलब्धि भी कम नहीं आंकी जा सकती, क्योंकि वह एक सामान्य कार से रेस कर रहे थे और दूसरे दिन ही ये दिखने लगा था कि वह संघर्ष कर रहे हैं। संदीप ने कहा कि मुझे पता था कि मैं बाकी रेसरों के मुकाबले कमजोर स्थिति में हूं, लेकिन मैंने खुद को और अपनी कार को पूरी तरह से झोंक दिया था। मेरा मानना है कि ये बात उतनी मायने नहीं रखती कि नतीजे क्या रहे। ज्यादा अहम बात होती है कि आपने कितनी कोशिश की।