फिर से हैंड ऑफ गोल की चर्चा होगी फ्रांस के मैच में
30 साल बीत जाने के बाद भी ब्रिटिश मीडिया ने शिकायत करना नहीं छोड़ा है। वो मुझे 1986 का 'हैंड ऑफ गोल भूलने नहीं देते, जबकि उसी मैच में मैंने शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ गोल भी किया था।
(मैरोडोना का कॉलम)
30 साल बीत जाने के बाद भी ब्रिटिश मीडिया ने शिकायत करना नहीं छोड़ा है। वो मुझे 1986 का 'हैंड ऑफ गोल भूलने नहीं देते, जबकि उसी मैच में मैंने शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ गोल भी किया था। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आयरलैंड गणराज्य को भी कुछ ऐसे ही पुकारा जा सकता है। 2010 के विश्व कप प्ले ऑफ में उनके खिलाफ थिएरी हेनरी ने दो बार गेंद को हाथ मारा और विलियम गालास को पास दिया, जिसने गोल कर फ्रांस को क्वालीफाई कराया। इसके बाद दोनों टीमें अब रविवार को मिल रही हैं। हेनरी के हैंड गोल की फिर से चर्चा होगी। हालांकि मेरी यही सलाह होगी कि आयरिश खिलाडिय़ों को अपने खेल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उनका अब तक का सफर शानदार रहा है। खासतौर से इटली के खिलाफ जीत हमेशा यादगार रहेगी। उन्हें मेजबान टीम के खिलाफ भी अपना जोश बरकरार रखना होगा।
फ्रांस के पास पोग्बा, माटुदी और पायट जैसे आक्रामक मिडफील्डर हैं। मुझे पोग्बा से ज्यादा उम्मीदें हैं। उन्हें आपस में जगह बदलना पसंद है और वे यह सुनिश्चित करते हैं किग्रिजमैन, गिरोड जैसे स्ट्राइकर को गेंद हमेशा मिलती रहे। आयरलैंड को दबाव बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी गेंद के पीछे लगाने होंगे।
चुनौती के लिए तैयार जर्मनी :
जर्मनी और स्लोवाकिया के बीच होने वाला मुकाबला भी रोचक है। एक प्रबल दावेदार है और दूसरी टीम अंडरडॉग। मुझे मारेक हैमसिक पसंद हैं और मैच का पासा पलटने में माहिर हैं। जर्मनी को अच्छी तरह से पता है कि बड़े टूर्नामेंट में कैसे जीता जाता है, इसलिए वे चुनौती के लिए तैयार होंगे। स्ट्राइक जोन में पशोपेश की स्थिति उनके लिए बड़ी समस्या है। जोकिमलो इस मामले में मात खाते दिख रहे हैं। अभी तक वे सिर्फ तीन ही गोल कर पाए हैं। हालांकि उन्होंने एक भी गोल खाया नहीं है। मूलर की फॉर्म जर्मनी के लिए अहम होगी।
हंगरी का पलड़ा भारी :
हंगरी का भी स्वप्निल अभियान जारी है। अपने ग्रुप में शीर्ष पर रहकर उन्होंने दिखा दिया है कि दृढ़ निश्चय क्या कमाल कर सकता है। डिफेंस बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होने के बावजूद वे हमला करने से नहीं डरते। इसी वजह से वह वेल्स के साथ छह गोल कर शीर्ष पर हैं। बेल्जियम के खिलाफ भी उनसे ऐसी ही उम्मीद है। कप्तान कंपनी की गैर मौजूदगी में उनका डिफेंस कमजोर दिख रहा है। बेल्जियम ने इटली के खिलाफ हार से शुरुआत की थी, लेकिन नए कप्तान हजार्ड के नेतृत्व में उन्होंने अच्छी वापसी की। इस टीम में बहुत क्षमता है, खासतौर से मिडफील्ड में। डी ब्रूने बड़े मैचों में अंतर पैदा कर रहे हैं। इससे लुकाकू और ओरिगी को भरपूर मौके मिल रहे हैं। निश्चित तौर पर वे दावेदार हैं।