रेल बजट 2013: हादसों के बीच हिफाजत के कमजोर नुस्खे
कुंभ के दौरान इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 37 लोगों की मौत पर दुख जताते हुए रेल मंत्री पवन बंसल ने माना कि रेलवे को भावी योजनाओं में आपात स्थितियों के लिए और इंतजाम करने होंगे। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के लिए साल 2013-14 का बजट पेश करते हुए सुरक्षा और संरक्षा की कई पुरानी बीमारियों के इलाज के नुस्खे देने की कोशिश की गई है।
प्रणय उपाध्याय, नई दिल्ली। कुंभ के दौरान इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 37 लोगों की मौत पर दुख जताते हुए रेल मंत्री पवन बंसल ने माना कि रेलवे को भावी योजनाओं में आपात स्थितियों के लिए और इंतजाम करने होंगे। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के लिए साल 2013-14 का बजट पेश करते हुए सुरक्षा और संरक्षा की कई पुरानी बीमारियों के इलाज के नुस्खे देने की कोशिश की गई है।
प्रस्तावित रेल बजट में अगले चार साल के भीतर 10 हजार से ज्यादा लेवल क्रासिंग खत्म करने और नए न बनाने की घोषणा शामिल है। संरक्षा व सुरक्षा के लिए रेलवे में लंबे समय बाद भर्तियों के दरवाजे भी खोले गए हैं। रेल मंत्रालय के लिए अब भी रेलवे परिचालन को दुर्घटना रहित बनाना एक चुनौती है। बीते दस सालों में प्रति दस लाख किमी पर होने वाली दुर्घटनाओं का औसत 0.41 से घटकर 0.13 रह गया है, लेकिन इसे शून्य तक लाने के लिए रेलवे को खासी मशक्कत करनी होगी। खासकर तब जबकि सारी घोषणाएं माली हालत की मजबूरियों पर जाकर अटक जाती हों।
रेलवे संरक्षा के लिए पुराना सिरदर्द साबित हो रहे लेवल क्रासिंग की बात करें तो इसे खत्म करने की घोषणाएं लगातार हर बजट में नजर आती हैं। अपने पहले रेल बजट में पवन कुमार बंसल ने मौजूदा 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान यानी अगले चार सालों में 10,797 लेवल क्रासिंग खत्म करने का बीड़ा तो उठाया है। लेकिन, इस लक्ष्य के लिए उन्होंने जरूरी आर्थिक संसाधनों की कमी भी मानी है।
रेलवे को अपने नेटवर्क में 31,846 लेवल क्रासिंग [इनमें 13,350 बिना चौकीदार वाले हैं] को समाप्त करने के लिए 37 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। ऐसे में रेल मंत्री के एलान को अमल में लाने के लिए रेलवे को केंद्रीय सड़क निधि से हर साल मिलने वाले 1100 करोड़ की राशि को बढ़ाकर 5000 करोड़ किए जाने की जरूरत है। आम बजट में रेलवे की इस लंबे वक्त से चली आ रही गुहार की आंशिक सुनवाई तो संभव है लेकिन मनचाही मुराद मिलना मुश्किल दिखता है। एक दशक पहले शुरू हुई संरक्षा की योजना पर अमल के दौरान भी रेलवे ने पटरियों, रोलिंग स्टॉक और पुलों के नवीनीकरण पर तो कुछ ध्यान दिया। लेकिन, हादसों को रोकने के लिए कई तकनीकी उपाय अब भी अमल के इंतजार में हैं। टक्कर रोकने वाली प्रणाली टीसीएएस को अभी तक नहीं लगाया जा सका है।
नए बजट के एलान भी इसके प्रौद्योगिकी परीक्षण तक ही सीमित हैं। इसके अलावा ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली की शुरुआत भी अभी होनी है। रेलवे के ढुलाई और यात्री दबाव में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच रेलवे ने समय बाद भर्तियों के दरवाजे खोलने का भी फैसला किया है। रेलवे सुरक्षा बल में जहां अतरिक्त महिला कंपनियों का गठन होना है वहीं संरक्षा के लिए जरूरी कर्मचारी पदों पर नियुक्तियां होंगी। इसके अलावा लोको पायलटों के लिए कामकाज की सहूलियतें बढ़ाकर भी रेलवे ने मानवीय त्रुटियों को घटाने की कोशिश की है।