अब एक दूजे के मनकी और मंगरू
लखनऊ। शुभ लग्न में दोस्ती दो लोगों की रिश्तेदारी में बदल गई। इसके लिए वाराणसी के रसूलगढ़-सलारपुर के रामलखन और पुलकोहना के पप्पू यादव ने माध्यम बनाया अपने-अपने यहां के पालतू बंदर-बंदरिया को। इस वानर विवाह में गाजे बाजे संग बरात निकली। इसमें तीन सौ लोग शामिल हुए। स्टेज पर जयमाल और सिंदूरदान की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
लखनऊ। शुभ लग्न में दोस्ती दो लोगों की रिश्तेदारी में बदल गई। इसके लिए वाराणसी के रसूलगढ़-सलारपुर के रामलखन और पुलकोहना के पप्पू यादव ने माध्यम बनाया अपने-अपने यहां के पालतू बंदर-बंदरिया को। इस वानर विवाह में गाजे बाजे संग बरात निकली। इसमें तीन सौ लोग शामिल हुए। स्टेज पर जयमाल और सिंदूरदान की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
रसूलगढ़-सलारपुर के रामलखन ने अपने यहां के पांच वर्षीय बंदर मंगरू की बरात रविवार रात धूमधाम से निकाली। पहले दूल्हा बने मंगरू को एक श्वान पर बैठाया गया लेकिन उसके बिदकने पर बंदर खिसियाने लगा तो रिक्शे पर शान की सवारी निकली। बरात में करीब डेढ़ सौ बाराती शामिल हुए और सभी पुलकोहना निवासी पप्पू यादव के घर पहुंचे। वहां करीब सौ घरातियों ने आगवानी की।
पप्पू को दो वर्ष पूर्व करंट से झुलसी घायल अवस्था में एक बंदरिया मिली थी मनकी। मनकी को ही दुल्हन की तरह सजाया गया था। स्टेज पर बाकायदे कुर्सियों पर विराजमान हुए मंगरू और मनकी। शाम छह बजे के करीब जयमाल व सिंदूरदान हुआ और रात में ही मनकी की विदाई कर दी गई। इस अनूठे विवाह में करीब तीन सौ लोगों ने दावत उड़ाई। दरअसल रामलखन और पप्पू आपस में दोस्त हैं। जब कभी एक दूसरे के घर जाते, साथ में बंदर-बंदरिया को ले जाते। दोनों वानर एक-दूसरे का साथ छोडऩे के लिए पिछले कई दिनों से तैयार ही नहीं हो रहे थे। लिहाजा दोनों का धूमधाम से विवाह कर दिया गया।
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