फूफा-जीजा खींचते हैं दूल्हे की गाड़ी
आमतौर पर बैलगाड़ी को दो बैल खींचते हैं, मगर छत्तीसगढ़ के एक खास कुनबे में विवाह के दौरान एक अनोखी परंपरा निभायी जाती हैं जिसमें बैल की जगह दूल्हे के फूफा और जीजा ले लेते हैं। वे दोनों उस गाड़ी को खींचते हैं जिस पर दूल्हा सवार रहता है। ग्रामीण इलाकों में यह परंपरा आज भी जारी है।
रायपुर। आमतौर पर बैलगाड़ी को दो बैल खींचते हैं, मगर छत्तीसगढ़ के एक खास कुनबे में विवाह के दौरान एक अनोखी परंपरा निभायी जाती हैं जिसमें बैल की जगह दूल्हे के फूफा और जीजा ले लेते हैं। वे दोनों उस गाड़ी को खींचते हैं जिस पर दूल्हा सवार रहता है। ग्रामीण इलाकों में यह परंपरा आज भी जारी है।
राज्य में अभी विवाह का सीजन चल रहा है। राजधानी से महज 50 किलोमीटर दूर सुहेला में एक विवाह समारोह के दौरान कुछ ऐसे नजारे दिखे जिन्होंने छत्तीसगढि़या संस्कृति की याद ताजा कर दी। इस समारोह में प्राचीन संस्कृति की झलक देखते ही बनी।
विवाह के मौसम में रोज सैकड़ों शादियां हो रही हैं। इसी क्रम में ग्राम सिमगा नेतराम वर्मा ने अपने बेटे का विवाह पूरे धूमधाम से किया जिसमें पुरानी रस्में निभाई गईं। नेतराम ने बताया कि उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह पुश्तैनी रस्मों को निभाते हुए किया। फेरे के बाद दूल्हा और दुल्हन को एक बैलगाड़ी में बिठाया गया जिसे बैल की जगह फूफा व जीजा खींचकर विश्राम स्थल से घर तक ले गए।
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