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जानिए, हर रोज इस खास समय के बीच इसलिए चली जाती है घड़ी पर निगाहें

क्या कभी आपने घड़ी देखते समय एक बात नोटिस कि है कि जब भी आप पिछले कुछ दिनों से आप देखते हो, तो घड़ी में 11:11 बज रहे होते हैं।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Thu, 24 Nov 2016 02:13 PM (IST)Updated: Thu, 24 Nov 2016 02:37 PM (IST)

जीवन में कई बार कुछ चीजें हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। जैसे सुबह स्कूल या ऑफिस जाते समय किसी व्यक्ति का रोज उसी समय टकराना। क्या कभी आपने घड़ी देखते समय एक बात नोटिस कि है कि जब भी आप पिछले कुछ दिनों से घड़ी देखते हो, तो उसमें 11:11 बज रहे होते हैं। ऐसा एक बार होने के बाद बार-बार यही चीज़ दोबारा रिपीट होने लगती है।

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क्या है मामला

कई लोगों के साथ ऐसा होता है उन्हें केवल 11:11 ही नहीं लोगों को दूसरे नम्बर्स भी बार-बार दिखाई देते हैं। कई लोगों के साथ यह कुछ समय के लिए होता है, उसके बाद बंद हो जाता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके साथ लगातार ये घटता रहता है।

बता दें कि जब इस तरह आपको कोई रिपीट नम्बर दिखता है, तो फिर हर जगह आपको इस तरह की चीज़ें दिखने लगती है। इस समय भी कई लोगों को रिपीटेड नम्बर दिख रहे होंगे। कुछ लोग इसे बायोलॉजिकल क्लॉक से जोड़ कर देखते हैं। हमेशा इस तरह की चीज़ें रिपीट होते रहने से शरीर और दिमाग में इस तरह से तालमेल बैठ जाता है, कि अगले दिन उसी समय आपकी नज़र घड़ी पर चली जाती है, जिस समय कल गई थीष धीरे-धीरे आपको हर जगह इस तरीके की चीज़ें नज़र आने लगती है।

आध्यात्मिक रूप

कुछ लोग इस तरह की समानता को आध्यात्मिक रूप से भी देखने लगते हैं। हमारा मस्तिष्क भी समानान्तर चीज़ों को देख कर ज़्यादा सहजता महसूस करता है, जैसे कि 11:11, 4:44, 12:34 या फिर 1:23. कुछ लोग इस तरह नम्बरों को अपने लिए भाग्यशाली भी मानने लगते हैं।

माया सभ्यता

प्राचीन मेक्सिकों में पाई जाने वाली 26 हज़ार साल पुरानी माया सभ्यता एस्ट्रोलॉजी के मामले में काफ़ी एडवांस थी। उनके द्वारा 21वीं सदी में साल 2012 की 21 दिसंबर को दुनिया के अंत का समय 11:11 ही बताया गया था। माया सभ्यता का कैलेंडर 'कालों के बदलते क्रम' पर आधारित था।

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