इस युवती को है 'अजब एलर्जी', जिसके चलते पति भी रहता है दूसरे कमरे में
डॉक्टरों के पास इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि नौ वर्ष पहले ही यह डॉक्टरों की नजर में आई है।
जागरण रिसर्च डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में रहने वाली एक महिला जोआना वाटकिंस एलर्जी के चलते सामान्य जीवन नहीं जी पा रही हैं। उन्हें हर एक चीज से एलर्जी हो गई है। पिछले एक साल से वह अपने कमरे में ही रह रही है, जिसे उनके पति ने पूरी तरह से प्लास्टिक से ढंक कर ‘सेफ जोन’ में तब्दील कर दिया है। इससे रौशनी या धूल का कोई कण कमरे में नहीं आ पाता है। वह एक साल से एक जैसा खाना खा रही हैं। इतना ही नहीं वह अपने पति की गंध भी बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं इसलिए उनके पति दूसरे कमरे में रहते हैं। जोआना की एलर्जी का स्तर इतना अधिक है कि डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाने में भी उन्हें बेहद दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है। अपनी इस बीमारी की जांच के लिए वे अलग-अलग 30 डॉक्टरों के पास गईं लेकिन कोई उनकी एलर्जी का कारण नहीं बता पाया। आखिरकार एक डॉक्टर ने उनके मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम से ग्रसित होने की बात पुख्ता की।
डॉक्टरों के पास इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि नौ वर्ष पहले ही यह डॉक्टरों की नजर में आई है। इस पर शोध चल रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों का अनुमान है कि वैश्विक आबादी में 15 फीसद तक लोग इससे पीड़ित हो सकते हैं।
एलर्जी के कारक : इस सिंड्रोम के चलते पीड़ित को हर चीज से असुविधा होती है। इसमें खाद्य पदार्थ और पेय, विभिन्न मौसम, बहुत ज्यादा या बहुत कम तापमान, धुंआ या सुगंध, शारीरिक क्रिया, मानसिक तनाव, होने वाले हार्मोनल बदलाव से भी एलर्जी हो जाती है।
ये होते हैं लक्षण
इस बीमारी में आंखों से पानी आने, लगातार छींक आने, शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने, सूजन जैसे प्रमुख लक्षण हैं। इसमें पीड़ित को सांस लेने में तकलीफ, चक्कर, डायरिया, उल्टी, माइग्रेन, शब्द याद करने में कठिनाई, याददाश्त कमजोर होना, कंजक्टिवाइटिस, कमजोरी, हड्डियों में कमजोरी की समस्या से भी जूझना पड़ता है।
एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका होती है मास्ट सेल
मास्ट सेल एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका होती है जिसमें से निकलने वाला रसायन शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को नियंत्रित करता है। जब ये मास्ट सेल गलत समय पर गलत रसायन शरीर में भेजती हैं तो यही मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम कहलाता है। इसी के कारण शरीर चीजों के प्रति एलर्जिक हो जाता है। जोआना के मामले
में यह सिंड्रोम बहुत ज्यादा गंभीर स्तर पर पहुंच गया है जिसके कारण वे कोई इलाज कराने में भी कतराती हैं।
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