मालिक के गम में भूल गया भूख-प्यास
कुत्ते को इंसान का सबसे वफादार माना जाता है। प्रेमचंद की कहानी दूध का दाम में टॉमी नाम का कुत्ता मंगल नाम के लड़के का मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में साथ देता है लेकिन यह कहानी ऐसे टॉमी की है जिसने अपने मालिक का न सिर्फ जीवित रहने पर बल्कि मरने के बाद भी साथ नहीं छो़ड़ा।
कुत्ते को इंसान का सबसे वफादार माना जाता है। प्रेमचंद की कहानी दूध का दाम में टॉमी नाम का कुत्ता मंगल नाम के लड़के का मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में साथ देता है लेकिन यह कहानी ऐसे टॉमी की है जिसने अपने मालिक का न सिर्फ जीवित रहने पर बल्कि मरने के बाद भी साथ नहीं छो़ड़ा। चेन्नई के एक कब्रिस्तान में ताजा खुदे कब्र के पास उदास बैठे इस कमजोर कुत्ते को देखकर कोई भी उसे एक आम सा आवारा कुत्ता समझेगा पर यह कुत्ता वफादारी की अद्भुत मिसाल है।
15 दिन से भी अधिक समय से टॉमी नाम का यह कुत्ता 18 साल के अपने मालिक की कब्र के पास बिना कुछ खाए पिए बैठा रहा। भास्कर नाम के लड़के की मौत 2 अगस्त को एक सड़क हादसे में हो गई थी, उसे कब्र में दफन करके बाकी रिश्तेदार तो अपने-अपने घर चले गए पर टॉमी भूख-प्यास सहता हुआ वहीं रूका रहा। ब्लू क्त्रॉस संस्था के स्वंयसेवकों की जब इस कुत्ते पर नजर पड़ी तो वे इसके बचाव के लिए आगे आए पर टॉमी के कब्र से दूर न जाने के जिद्द के आगे उन्हें हार माननी पड़ी।
आसपास के लोगों से पूछताछ में पता चला की मृतक भास्कर की मां सुंदरी एक मजदूर है और एक निर्माण स्थल के पास झुग्गी में रहती है। सुंदरी ने बताया की टॉमी 5 साल से उनके बेटे का पालतू था पर उसकी मौत के बाद से टॉमी भी गायब है। सुंदरी स्वंयसेवी संस्था के टीम के साथ कब्र के पास आई तो उसने इस कुत्ते को अपने बेटे की कब्र के पास बैठे देखा।
ब्लू क्त्रॉस के स्वंयसेवक मुकुंद जे ने बताया कि, सुंदरी को देखते ही बुरी तरह कुपोषित हो चुका टॉमी कांपता हुआ उसके पास आया और झुककर उसके पैरो के नीचे बैठ गया। सुंदरी भी टॉमी को गले लगाकर रोने लगी।
50 वर्षीय विधवा सुंदरी ने कहा की, बेटे के मौत के बाद से जिंदगी बेमकसद सी लगने लगी थी पर टॉमी के साथ जिंदगी को नया मकसद मिल गया है।
कुछ दिन बाद जब सुंदरी से फिर संपर्क करने की कोशिश की गई तो पता चला वो अपने पैतृक निवास तिरुवन्नामलाई वापस चली गई है और टॉमी को भी अपने साथ ले गई है।