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अब गजराज भी पहनेंगे जूते, बनाने में जुटे कारीगर

हाथियों को नंगे पैर चलने से होने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए एक हाथी पालक की पहल पर नालंदा जिले की चमड़ा मंडी में मोची हाथियों के लिए जूते बनाने में जुटे हैं।

By Pramod PandeyEdited By: Published: Sun, 31 Jul 2016 01:17 PM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2016 04:55 PM (IST)

पटना [प्रमोद पांडेय ]। हाथी और जूते पहने हुए...? देखा तो नहीं है कभी ! सुना भी नहीं। यह तो अभी सपने जैसा ही है लेकिन जल्द ही सड़कों पर घूमने वाले गजराज के पैरों में जूते दिखने लगेंगे। इसे पहनकर जब गजराज चलेंगे तो उनके पांवों में न सड़क पर के कंकड़-पत्थर चुभेंगे न भीषण गर्मी में पक्की सड़कों पर उनके पांव जलेंगे। इससे धरती के सबसे बड़े जानवर को आराम की अनुभूति होगी।

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अपने हाथियों के लिए जूते बनवाने की यह सोच गया के अख्तर इमाम के जेहन में आई। वे चार हाथियों के स्वामी हैं। भयंकर गर्मी में नंगे पांव चलने पर होने वाले कष्ट की अनुभूति कर उन्होंने मूक पशुओं की पीड़ा महसूस की और तय किया कि वे उनके लिए एेसा उपाय करेंगे जिससे उनके पैरों को आराम मिले।

'एेरावत बचाओ' संस्था चलाने वाले अख्तर का कहना है कि पहले की सड़कें हाथी के लिए मुफीद थीं। पैर की बनावट गद्देदार होने की वजह से मिट्टी की सड़क भयंकर गर्मी में भी गर्म नहीं होती थी। लेकिन, अब गांवों में भी मिट्टी की सड़कें नहीं बचीं।

अख्तर इमाम का कहना है कि मूक पशु अपनी पीड़ा कैसे व्यक्त करेंगे। होता यह है कि कील-कांटा या कोई और चीज चुभ जाने के बाद हाथी के पैर का घाव ठीक नहीं हो पाता। कई बार जानवर की मौत तक हो जाती है। इसे लेकर ही उन्होंने जूते बनवाने का प्लान किया।

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बिहारशरीफ के मोरातालाब में बन रहे जूते

अख्तर इमाम ने अपने हाथियों के लिए जूते बनवाने का काम नालंदा की प्रसिद्ध चमड़ा मंडी मोरातलाब के मोची अनिरूद्ध को सौंपा है। अनिरूद्ध ने बताया कि हाथी के मुफीद एक सेट जूते बनाने में कम से कम 12 हजार रुपये का खर्च आया है। बताया कि पहले तो हाथी के लिए जूते बनाने का प्रस्ताव मिलने पर वह चौंका था लेकिन अंततः उसने इस प्लान पर काम करने का फैसला किया।

टायर काटकर बनाए गए हैं सोल

अनिरूद्ध बताते हैं कि हाथी के लिए जूते का सोल मजबूत होना चाहिए यह भांपकर टायर काटकर सोल बनाया गया है। हाथी के लिए जूते का आकार एेसा है कि पैर खुले-खुले भी रहें। इसलिए, सैंडल की तरह फीते लगाए गए हैं, ताकि एक बार पहनाने के बाद हाथी को जरा भी असहजता नहीं हो। वरना, परेशानी होने पर हाथी इसे तोड़ कर फेंक सकता है।

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अनिरूद्ध ने बताया कि एक बार जूते सेट कर गए तो वह एेसे और जूते बनाएगा। उसने उम्मीद जाहिर की कि बिहार के अन्य हिस्सों में रहने वाले हाथी प्रेमी भी जूते बनवाएंगे। कारीगर का कहना है कि वह सोनपुर मेले में हाथी के लिए जूते बनाकर ले जाने पर भी विचार कर रहा है। इसकी तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है लेकिन वह यह भी चाहता है कि पहले अख्तर इमाम के हाथियों को पहनाने के बाद उनकी प्रतिक्रिया जान ले।

हाथियों के लिए बनने वाले जूते देखकर अख्तरूल इमाम भी संतुष्ट हैं। वे मानते हैं कि जिस शेप में जूते बनाए गए हैं वे हाथियों को आराम देंगे। उन्होंने हाथी प्रेमियों और हाथी पालकों से एेसे जूते बनवाकर धरती के इस सबसे विशालकाय जानवर की पीड़ा कम करने की अपील भी की है।


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